हाल ही में असम में 40 लाख लोगों के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में नाम न होने से उनके भारतीय होने पर शंका होने लगी है. एक बात समझ से परे है कि आखिर राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर राजनीति क्यों कर रही हैं? 1971 में बांग्लादेश से लाखों की संख्या में अप्रवासी लोग भारत आये थे.
उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का इन अप्रवासियों के भारत में रहने को लेकर स्पष्ट बयान था कि भारत अप्रवासी लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाते हुए उनकी रक्षा करेगा. उस बयान में यह बात भी सामने आयी थी कि अप्रवासी लोग भारत में रह तो सकते है, परंतु हमेशा के लिए नहीं, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस सरकार द्वारा इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया गया.
कांग्रेस का इस विषय को हल्के में लेना आज उन अप्रवासी लोगों के लिए भारी बन गया, जिनका नाम उस सूची में नहीं है. एक दल का इसके पक्ष में और दूसरे दल का विपक्ष में जाने से इन अप्रवासियों की जिंदगी सबसे ज्यादा खतरनाक मोड़ पर है.
अखिल सिंघल, नयी दिल्ली