सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी से पढ़ाई बाधित हो रही है. लेकिन, जब बच्चे का रिजल्ट खराब होता है तब लोग इसके लिए शिक्षक को दोषी ठहराने लगते हैं. अभिभावक और अधिकारी कहते हैं कि शिक्षक पढ़ाते नहीं हैं. वे विद्यालय में उपस्थित नहीं होते हैं आदि-आदि. शिक्षकों की योग्यता पर संदेह इसलिए भी नहीं किया जा सकता है, क्योंकि शिक्षक भर्ती परीक्षा में लाखों अभ्यर्थियों में सैकड़ों का चयन होता है. सबसे बड़ी बात यह है कि छात्र-छात्राओं के अनुपात में शिक्षकों का अभाव है. इसके अलावा शिक्षकों से शिक्षण कार्य से अतिरिक्त अन्य काम लिये जाते हैं. शिक्षा विभाग को अपनी कमी नहीं दिखायी देती है. इन कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए. खराब व्यवस्था से गरीब के बच्चों को उपेक्षित होना पड़ता है.
मिथिलेश कुमार, बलुआचक, (भागलपुर)