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भूख और भारत
भूख से तड़प कर मर जाना एक शर्मनाक और दिल को दहला देने वाली घटना है. आये दिन झारखंड में गरीब आदिवासी घरों में भूख से हुई मौत की खबर आ रही है. हवा के बिना हम कुछ मिनट से ज्यादा नहीं जी सकते,पानी के बिना हम दो चार दिन तक जी सकते हैं. हवा […]
भूख से तड़प कर मर जाना एक शर्मनाक और दिल को दहला देने वाली घटना है. आये दिन झारखंड में गरीब आदिवासी घरों में भूख से हुई मौत की खबर आ रही है.
हवा के बिना हम कुछ मिनट से ज्यादा नहीं जी सकते,पानी के बिना हम दो चार दिन तक जी सकते हैं. हवा और पानी के बाद तीसरी जरूरत भोजन है.
गरीब और निर्धन के लिए सबसे सस्ता व सुलभ उपाय अनाज से पेट भरना है. भूख से मौत तभी होती है जब किसी को खाना बहुत दिनों तक नहीं मयस्सर हुआ हो. भूख से तड़पते हुए, बिलखते हुए मर जाना एक क्रूर और अमानवीय मजाक है. सरकार और समाज के लिए भूख से मौत एक गंभीर बात है.
सबसे मजेदार और शर्मनाक बात यह है कि सरकार कभी यह मानती ही नहीं कि मौत भूख से हुई है. वह सच्चाई से मुंह फेर कर किसी बीमारी से मौत की बात करती है. सभ्य और सुसंस्कृत समाज के लिए यह एक चुनौती है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में घटित नहीं हो.
युगल किशोर, इमेल से
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