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बदल सकती है झारखंड की तस्वीर

आशुतोष चतुर्वेदी झारखंड ने अपनी स्थापना के 17 वर्ष पूरे कर लिये हैं. 15 नवंबर, 2000 को झारखंड राज्य ने अपने सफर की शुरुआत की थी. इस सफर का आकलन करें, तो हम पायेंगे कि आज झारखंड को जहां होना चाहिए था, आज वह वहां नहीं है. 17 साल में विकास की जो रफ्तार होनी […]

आशुतोष चतुर्वेदी
झारखंड ने अपनी स्थापना के 17 वर्ष पूरे कर लिये हैं. 15 नवंबर, 2000 को झारखंड राज्य ने अपने सफर की शुरुआत की थी. इस सफर का आकलन करें, तो हम पायेंगे कि आज झारखंड को जहां होना चाहिए था, आज वह वहां नहीं है. 17 साल में विकास की जो रफ्तार होनी चाहिए थी, वैसी नहीं रही है. राजनीतिक अस्थिरता इसकी एक बड़ी वजह रही. लेकिन, स्थापना दिवस के अवसर पर हम पुरानी बातों की चर्चा न कर, इस बात पर चर्चा करें कि भविष्य का झारखंड कैसा हो.
आम आदमी की तीन बुनियादी जरूरतें हैं- बिजली, पानी और सड़क. मैंने पाया है कि सड़कों, बड़े भवनों और पुलों के क्षेत्र में राज्य में अच्छा काम हुआ है, लेकिन बिजली और स्वच्छ पीने का पानी सभी को उपलब्ध कराने के क्षेत्र में अभी बहुत काम करना बाकी है.
प्रकृति झारखंड पर मेहरबान रही है. प्रकृति ने इतना खनिज देश के किसी अन्य राज्य को नहीं दिया है. इन खनिजों का दोहन तो होता है, लेकिन इसका पूरा लाभ न तो राज्य को मिल पाता है और न ही यहां के लोगों को. इन खनिजों पर आधारित उद्योग झारखंड में लगे. यहां की खदान से आयरन ओर निकले, उससे स्टील बने, फिर उसी स्टील के उत्पाद बनाने की सुविधा भी यहां हो. इससे वैल्यू एडिशन होगा और राज्य को भारी लाभ हो सकता है.
झारखंड के बड़े हिस्से में सिंचाई की सुविधा नहीं है. हालांकि वर्षों से लंबित कई परियोजनाओं पर फिर से काम शुरू हुआ है, इन्हें समय से पूरा करने की चुनौती है. हाल में स्वर्णरेखा परियोजना समेत कई पुरानी परियोजनाओं पर काम आगे बढ़ा है. अगर ये सब पूरी हो जाती हैं, तो सिंचाई की सुविधा बढ़ेगी. झारखंड में सब्जी-फलों की अच्छी खेती होती है. यहां की सब्जी कोलकाता और मुंबई तक जाती है. पर इसका लाभ किसानों को न मिल कर बिचौलियों को मिलता है. कोल्ड स्टोरेज हों, फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगें, तो किसानों का भाग्य बदल जायेगा.
यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. जैन समाज के तीर्थस्थल पारसनाथ मंदिर को और विकसित किया जा सकता है. बुद्ध से जुड़े स्थल पर काम बाकी है. दो और अन्य क्षेत्र हैं-शिक्षा और स्वास्थ्य. राज्य के लोगों को पढ़ाई और चिकित्सा के लिए दक्षिण भारत जाना पड़ता है. अगर झारखंड को ही हेल्थ और एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया जाये, तो तस्वीर बदल सकती है.
17 साल बाद कहां खड़े हैं हम
झारखंड राज्य बने 17 साल पूरे हाे गये. पूरा झारखंड उत्सव मना रहा है. रांची में बड़ा समाराेह हाे रहा है. खुद राष्ट्रपति इस उत्सव में शामिल हाेने रांची आ रहे हैं. झारखंड के साथ ही उत्तराखंड आैर छत्तीसगढ़ भी बना था. विकास की तुलना भी की जाती है.
हर राज्य की अपनी ताकत-कमियां हाेती हैं. झारखंड की भी हैं. 15 नवंबर, 2000 काे जब झारखंड बना था, हालात अलग थे. क्षेत्र उपेक्षित था. कई सरकारें (लगभग सभी दल की) आयीं-गयीं. अब स्थिर सरकार है. इतना ताे कहा जा सकता है कि 17 साल में झारखंड आगे ही बढ़ा है, संपन्नता बढ़ी है, प्रति व्यक्ति आय बढ़ी है, सड़क-बिजली की स्थिति पहले से सुधरी है.
कई सेक्टर में झारखंड ने काफी अच्छा किया है, यहां की याेजनाएं राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू की गयी हैं. आंकड़े बताते हैं कि कई सेक्टर ऐसे हैं, जहां काफी काम करना बाकी है. झारखंड में लगभग तीन साल से रघुवर दास की सरकार है. इस सरकार में कई बड़े फैसले हुए हैं. कुछ चुनाैतियां हैं. यहां संसाधन भरे पड़े हैं. अगर सरकार-अफसर-राजनेता पूरी इच्छाशक्ति से लग जायें, ताे यह झारखंड कम समय में देश का अव्वल राज्य बन सकता है.

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