Advertisement
गठबंधन की खुल गयी गांठ
बिहार में सत्ता की कुरसी के लिए पटकथा बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी.बस उसे अमली जामा पहनाने के लिए सही वक्त का इंतजार था. तेजस्वी यादव तो बस मोहरा थे. राजनीति में रहस्यों का खुलासा तब होता है, जब लालच की पराकाष्ठा अपने चरम पर आ जाती है. बिहार की राजनीति में जदयू- […]
बिहार में सत्ता की कुरसी के लिए पटकथा बहुत पहले ही लिखी जा चुकी थी.बस उसे अमली जामा पहनाने के लिए सही वक्त का इंतजार था. तेजस्वी यादव तो बस मोहरा थे. राजनीति में रहस्यों का खुलासा तब होता है, जब लालच की पराकाष्ठा अपने चरम पर आ जाती है.
बिहार की राजनीति में जदयू- भाजपा सरकार बनाने के लिए ऐसे ही रहस्यों का खुलासा हुआ और नया गठबंधन बनने पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ. यह भारतीय राजनीति की गिरती सूरत बयां करती है. ऐसी राजनीति स्वहित और पार्टी हित के लिए होती है. जनता का स्थान गौण रहता है. नीतीश जी को कभी लालच से समझौता नहीं करते और चुनाव में जाकर अपने दम पर स्वच्छ सरकार बनाते. ऐसा लगता है कि उन्होंने नया गठबंधन कर जनता से विश्वासघात ही किया है.
अनमोल रंजन, रांची
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement