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कितनी दूर है हमसे एलियंस की दुनिया?

दुनियाभर में लोगों को यह जानने की बेहद उत्सुकता है कि क्या हमारी पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन का संभव है. इसके बारे में जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधरत हैं. नासा वैज्ञानिक ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों पर जीवन तलाशने के मिशन पर लगे हुए हैं. आज के नॉलेज में जानते […]

दुनियाभर में लोगों को यह जानने की बेहद उत्सुकता है कि क्या हमारी पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर भी जीवन का संभव है. इसके बारे में जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक शोधरत हैं. नासा वैज्ञानिक ब्रह्मांड के अन्य ग्रहों पर जीवन तलाशने के मिशन पर लगे हुए हैं. आज के नॉलेज में जानते हैं एलियंस की खोज में हम कहां तक पहुंच चुके हैं और क्या हैं आगे के मिशन, क्या हो सकता है आगे..

सृ ष्टि की संरचना भले ही मानवीय परिकल्पनाओं से परे है, लेकिन जिज्ञासाएं हमेशा निर्बाध रहती हैं. यही जिज्ञासाएं इंसान को हमेशा नवीन अविष्कारों के लिए प्रेरित करती हैं. इन्हीं में एक बड़ी जिज्ञासा है, जो इंसान के विचारों को सदियों से उद्वेलित करती रही है- क्या पृथ्वी से इतर अन्य ग्रहों पर जीवन संभव है? क्या अन्य ग्रहों पर मानव जैसे जीव होते हैं? अगर होते हैं तो कैसे? इन तमाम कल्पनाओं से प्रेरित होकर इंसान ने सिल्वर स्क्रीन पर ऐसे चरित्रों को उकेरने का भी प्रयास किया है. हॉलीवुड से लेकर बॉलीवुड तक ऐसे एलियंस को सिने चरित्रों द्वारा प्रस्तुत किया जा चुका है. एलियंस यानी अन्य ग्रह के जीवों की संभावना के बारे में विज्ञान ने कभी इनकार नहीं किया.

अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (नासा) के वैज्ञानिकों ने इस जिज्ञासा को मिशन बनाते हुए 2009 में केपलर मिशन-10 से प्लेनेट हंटिंग (ग्रहों पर जीवन की तलाश) का काम शुरू किया. कुछ दिनों पहले ‘टॉप सिक्रेट’ एरिया-51 के वैज्ञानिकों ने मृत एलियंस की तस्वीर को साझा किया. फिल्म पर लिये गये इस फोटो को यूएफओ (अनआइडेंटिफाइड ऑब्जेक्ट) एक्सपर्ट टॉम कैरे ने इसे एलियंस के वास्तविक तस्वीर होना स्वीकार किया. कोडक के मुताबिक, यह तस्वीर वर्ष 1947 की है, जब परग्रही अंतरिक्षयान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

विशेषज्ञों ने की तस्वीरों की पुष्टि

टॉप सिक्रेट एरिया-51 के यूएफओ विशेषज्ञों द्वारा जारी की गयी तस्वीर के वास्तविक तारीख के सत्यापन के लिए कोडक इतिहासकार से संपर्क किया गया. तस्वीर को रॉकेस्टर, न्यूयार्क के आधिकारिक कोडक इतिहासकार के पास ले जाया गया. इतिहासकारों ने फिल्मस्ट्रिप बनाये जाने का सही समय वर्ष 1947 बताया.

विशेषज्ञों ने बताया कि इस तस्वीर से छेड़छाड़ नहीं की गयी है, क्योंकि उस समय आज की तरह फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर की सुविधा नहीं थी. रिपोर्ट में बताया गया है कि एलियन की लंबाई करीब चार फीट होती है और सिर का आकार बेडौल होता है. सिर का हिस्सा शरीर से अलग प्रतीत होता है. कैरे का मानना है कि तस्वीर लेने तक एलियन के मृत शरीर को संरक्षित किया गया था.

इस खबर के आने के बाद कुछ वैज्ञानिकों ने इस पर संदेह जताया है. कुछ वैज्ञानिकों का तर्क है कि अगर एलियंस के मृत शरीर को प्राप्त किया गया था, तो निश्चित तौर पर दुनिया में बहुत बड़े बदलाव की घटना हो सकती थी. इस प्रकार की घटना को पिछले 50 वर्षो तक बचा कर रख पाना समझ से परे है. वर्ष 1947 में रॉजवेल की इस घटना के बाद यूफोलॉजिस्ट विशेषज्ञों में तर्क-वितर्क शुरू हो गया था. कुछ ने इसे षडय़ंत्रकारी घटना तक बता दिया था. ‘आइबीटाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ठीक इसी प्रकार की एक और घटना घटी थी, जिसमें बताया गया था कि एक एलियंस स्पेसक्रॉफ्ट दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.

पृथ्वी से इतर अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश संभव

दुनियाभर के कई वैज्ञानिकों का मानना है कि ब्रह्मांड में हम अकेले नहीं है. हमारी पृथ्वी ग्रह जिस आकाशगंगा में है, संभवत: उसमें ऐसे कई लाख ग्रह हैं, जहां पर जीवन की कल्पना की जा सकती है. कुछ माह पूर्व नासा के वैज्ञानिकों ने वाशिंगटन में आयोजित सार्वजनिक वार्ता में नासा के अभियानों के बारे में बताया था. पृथ्वी के इतर जीवन के तलाश के लिए कई मौजूदा व भविष्य की टेलीस्कोप तकनीकों पर काम किया जा रहा है. कैंब्रिज के मैसाच्युसेट्स इंस्टीटय़ूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्लेनेटरी साइंस एंड फिजिक्स की प्रोफेसर सारा सीगर ने एक साक्षात्कार में कहा था कि आने वाले निकट भविष्य में लोग आकाश में किसी तारे की तरफ इशारा करते हुए कह सकेंगे कि फलां तारे के पास ऐसा ग्रह है, जिस पर बिल्कुल हमारी पृथ्वी की तरह जीवन संभव है. खगोलविज्ञानियों का मानना है कि हमारी आकाशगंगा में प्रत्येक तारे के पास कम से कम एक ग्रह है.

नासा के वैज्ञानिक अन्य तारों के प्लेनेटरी सिस्टम के अध्ययन के लिए व्यापक पैमाने पर पिछले कुछ वर्षो से काम कर रहे हैं. इस प्रक्रिया के तहत नासा में वर्ष 2009 में केपलर मिशन-10 की शुरुआत की गयी. इसके अलावा आगामी वर्षो में अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश के लिए नासा द्वारा कई अन्य मिशन प्रस्तावित हैं.

टेलीस्कोप से अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश

तारों और परिक्रमारत ग्रहों के अध्ययन के लिए नासा द्वारा ‘हबल स्पेस टेलीस्कोप’, ‘स्पिजर स्पेस टेलीस्कोप’ और ‘केपलर स्पेस टेलीस्कोप’ पर काम किया जा चुका है. अत्याधुनिक टेलीस्कोप से एक साथ कई तारों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है. साथ ही यह भी जाना जा सकता है कि एक या एक से अधिक परिक्रमा करने वाले ग्रहों की वास्तविक स्थिति क्या है. इन तकनीकों से यह भी निर्धारित किया जा सकता है कि उक्त ग्रह तारे से कितनी दूरी पर हैं और ग्रह पर जल है या नहीं? इस कड़ी में नासा की भविष्य में कई योजनाएं हैं. वर्ष 2017 में नासा द्वारा ट्रांजिस्टिंग एक्सोप्लेनेट सर्वेइंग सेटेलाइट (टीइएसएस), वर्ष 2018 में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप लॉन्च किया जाना है. इतना ही नहीं, नासा ने अगले दशक की योजनाओं की रूपरेखा तैयार कर ली है. संभवत: अगले दशक के शुरुआती वर्षो में नासा वाइड फील्ड इन्फ्रारेड सर्वे टेलीस्कोप-एस्ट्रोफिजिक्स फोकस्ड टेलीस्कोप एसेट (डब्ल्यूएफआइआरएसटी-एएफटीए) काम शुरू करेगा. आने वाले इन टेलीस्कोप तकनीकों से तारों की परिक्रमा करने वाले ग्रहों के वातावरण व विविधता की जानकारी मिल सकेगी. भविष्य में अंतरिक्ष में जीवन की तलाश के लिए तैयार किये जा रहे वेब टेलीस्कोप और डब्ल्यूएफआइआरएसटी-एएफटीए द्वारा अन्य ग्रहों पर वायुमंडलीय जलवाष्प, कार्बन-डाइऑक्साइड से जीवन और अन्य वायुमंडलीय रसायनों की जानकारियां इकट्ठा की जा सकेंगी.

क्या होगा एलियंस से संपर्क के बाद?

मशहूर भौतिक शास्त्री स्टीफन हॉकि न्स का मानना है कि एलियंस की खोज की दिशा में हम बहुत बड़ा खतरा मोल लेने की ओर अग्रसर हैं. उनका कहना है कि जो सिगनल हम भेज रहे हैं, उससे विकसित एलियंस सभ्यता को हम अपने उपनिवेशवाद का संकेत दे रहे हैं, जो हमारी सभ्यता के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि एलियंस का मित्रवत व्यवहार होने पर हमें इसका लाभ मिल सकता है. एलियंस हमारी मानव सभ्यता के विकास में एक सहायक की भूमिका निभा सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि रचनात्मकता आधारित मानव की पारंपरिक धार्मिक विश्वास में परिवर्तन आ सकता है. एलियंस से संपर्क होने पर सभ्यता और ज्ञान की परिभाषा दूसरा आकार ले लेगी. थियोरेटिकल फिजिस्ट मिशियो काकू का कहना है कि ‘जल्द ही हमें अस्तित्व से संबंधित सदमा लग सकता है.’

रोबोट ढूंढ़ेंगे एलियंस

दूसरों ग्रहों पर एलियंस का पता लगाने के लिए नासा रोबोट्स की सेना तैयार कर रहा है. ये रोबोट वेबकैम और जीपीएस से लैस होंगे. ‘स्पेस डॉट कॉम’ के मुताबिक, इन रोबोट्स को ‘स्वारमीज’ नाम दिया गया है. ये नासा के दूसरे रोबोट्स की तुलना में छोटे होंगे. सेना के हर रोबोट के पास एक वेबकैम एंटीना और रास्तों की तलाश के लिए जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) होगा. स्वारमीज उसी तरह काम करेंगे, जैसे अपने समुदाय में चींटियां करती हैं. स्वारमीज के टेस्ट अभी शुरुआती चरण में हैं. अगले कुछ महीनों में इसमें रेसॉर टेस्ट भी जुड़ जायेगा. इसी टेस्ट में रोबोट के एलियंस और दूसरों ग्रहों पर उपयोगी तत्वों को ढूंढ़ने के उनके गुणों का परीक्षण होगा.

1800 से ज्यादा ग्रहों पर जीवन की उम्मीद

ब्रह्नांड की खगोलीय संरचना को इंसान अब तक पूरी तरह से समझ नहीं पाया है. क्या इस विशाल अंतरिक्ष में हम अकेले हैं या कई और सभ्यताएं हैं, जो हमसे ज्यादा विकसित या कम विकसित हैं? एलियंस हैं या नहीं, यह गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं पायी है. इसी गुत्थी को सुलझाने के मकसद से 2009 में अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘नासा’ ने आकाशगंगा के सर्वेक्षण के लिए ‘केपलर मिशन-10’ के नाम से एक परियोजना शुरू की. वेब दुनिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह अंतरिक्ष वेधशाला शक्तिशाली टेलीस्कोप से लैस है, जो पृथ्वी जैसे आकार और गुणों वाले ग्रहों की खोज कर रहा है. ऐसे ग्रहों की खोज जहां पानी तरल रूप में संभव हो. यह भी पता लगाने की कोशिशें हो रही हैं कि 400 अरब तारे और इतने ही ग्रहों वाली हमारी आकाशगंगा के कितने ग्रहों में जीवन संभव है. हमारे सौरमंडल के अलावा इस आकाशगंगा में कई अरब दूसरे सौरमंडल हैं. हर सौरमंडल में सूर्य की तरह एक तारा होता है, जिसके चारों ओर उसके ग्रह परिक्रमा करते हैं. पांच तारों में से एक तारे के पास कम से कम एक ग्रह ऐसा है, जिस पर जीवन होने की संभावनाएं हैं. 1995 तक वैज्ञानिकों के पास एलियंस के अस्तित्व को मानने की कोई वजह नहीं थी, क्योंकि तब तक विज्ञान के पास किसी जीवनयोग्य ग्रह की जानकारी नहीं थी. उसके बाद से धीरे-धीरे ग्रहों को तलाशने की तकनीक विकसित हुई और केपलर वेधशाला के प्रक्षेपण के बाद पृथ्वी जैसे अनेक ग्रहों को तलाशा गया. यह आंकड़ा अब 1,800 के पार पहुंच चुका हैं और केवल इसी वर्ष यानी 2014 में अब तक तक वैज्ञानिकों ने ऐसे 700 ग्रह घोषित कर दिये हैं, जिन पर जीवन के होने की उम्मीद जतायी जा रही है. धीरे-धीरे यह संख्या लाखों और फिर करोड़ों में पहुंचने का अनुमान है.

नासा की सबसे बड़ी टेलिस्कोप तलाशेगी एलियंस

नासा के वैज्ञानिकों ने एलियंस के अस्तित्व या उनकी मौजूदगी को जांचने के लिए अंतरिक्ष में विशालकाय टेलिस्कोप इंस्टॉल करने की योजना बनायी है. एडवांस्ड टेक्नोलॉजी लार्ज एपर्चर स्पेस टेलिस्कोप यानी एटलास्ट विश्व का सबसे ताकतवर टेलिस्कोप होगा, जो 30 लाख प्रकाश वर्ष दूर तक के ग्रहों और सौरमंडल के वायुमंडल का अध्ययन करेगा. इससे लाखों किमी दूर एलियंस की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकेगी. यह टेलिस्कोप हबल स्पेस टेलिस्कोप से चार गुना बड़ा होगा. इसमें 52 फीट डायमीटर का लेंस लगाया जायेगा, जो कि अब तक का सबसे बड़ा मानव निर्मित लेंस होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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