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अखिलेश, स्टालिन, अभिषेक सभी वंश के वारिस…भारत ऐसे ही चलता है, मेरे पीछे न पड़ें : राहुल गांधी

वाशिंगटन : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि वंशवादी राजनीति भारत में ज्यादातर पार्टियों के लिए एक समस्या है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा किबड़ी संख्या में उनकी पार्टी के लोगों की कोई वंशवादी पृष्ठभूमि नहीं है. इसी के साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि उसकी क्षमताओं को […]

वाशिंगटन : कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि वंशवादी राजनीति भारत में ज्यादातर पार्टियों के लिए एक समस्या है लेकिन साथ ही उन्होंने कहा किबड़ी संख्या में उनकी पार्टी के लोगों की कोई वंशवादी पृष्ठभूमि नहीं है. इसी के साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि किसी व्यक्ति की पृष्ठभूमि उसकी क्षमताओं को निर्धारित नहीं करती.कांग्रेस उपाध्यक्ष ने बर्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों को संबोधित करते हुए एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि यदि पार्टी उन्हें कार्यकारी जिम्मेदारी निभाने के लिए कहती है, तो वह इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस पार्टी वंशवाद की राजनीति से अधिकजुड़ी है, राहुल गांधी ने इसके जवाब कहा कि भारत को वंश चला रहे हैं.

उन्होंने जाने माने परिवारों में जन्मे कई प्रमुख भारतीयों की सूची पेश करते हुए कहा, भारत में अधिकतर दलों में यह समस्या है… श्री अखिलेश यादव एक वंश के वारिस हैं… श्री स्टालिन एक वंश के वारिस हैं … यहां तक कि अभिषेक बच्चन भी एक वंश के वारिस हैं. भारत इसी तरह चलता है. इसलिए मेरे पीछे नहीं पडें क्योंकि भारत इसी तरह चलता है. इसी तरह अंबानी परिवार कारोबार चला रहे हैं. इन्फोसिस में भी यही चल रहा है. भारत में ऐसा ही होता है. उन्होंने साथ ही कहा कि कांग्रेस पार्टी मेंबड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनकी कोई वंशवादी पृष्ठभूमि नहीं है.

वंशवाद पर राहुल गांधी की टिप्पणियों पर उनके खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें विफल वंशवादी करार दिया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने कांग्रेस की गलतियों पर टिप्पणी कर सोनिया गांधी पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि वेदेश के नागिरकों से समर्थन नहीं मिलने पर अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं.

कांग्रेस में बंद हो गया था संवाद

राहुल गांधी ने कहा, और मैं हर राज्य में उनका नाम बता सकता हूं. ऐसे भी लोग है, जिनके पिता या दादी या परदादा राजनीति में रहे हैं. ऐसे भी लोग हैं. उन्होंने कहा, असल सवाल यह है, क्या वह व्यक्ति वास्तव में सक्षम है और क्या वह वास्तव में संवेदनशील है. गांधी ने कहा कि 2012 के आसपास कांग्रेस पार्टी का लोगों के साथ संवाद बंद हो गया. उन्होंने कहा कि यह किसी भी पार्टी के साथ हो सकता है जो 10 साल से सत्ता में हो.

47 वर्षीय राहुल गांधी ने कहा, हमने वर्ष 2004 में जो दृष्टि तय की थी वह ज्यादा से ज्यादा 10 साल के लिए थी. और यह बहुत हद तक स्पष्ट था कि हमने वर्ष 2004 में जो दृष्टि तय की थी, उसने 2010-11 में आते-आते काम करना बंद कर दिया था. उन्होंने कहा, मैं यह कह सकता हूं कि वर्ष 2012 के आसपास कांग्रेस पार्टी में कुछ अहंकार आ गया था और उसने संवाद करना बंद कर दिया. यह पूछे जाने पर कि क्या वह कांग्रेस पार्टी में कार्यकारी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं, उन्होंने कहा, मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हूं.

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भाजपा ने कांग्रेस के कार्यक्रम लागू किये

उन्होंने इस संबंध में निर्णय पार्टी पर छोड़ते हुए कहा, हमारी एक संगठनात्मक प्रक्रिया है जो यह निर्णय लेती है. और यह प्रक्रिया इस समय जारी है. हमारे पास एक आंतरिक प्रणाली है जिसके तहत हम कुछ प्रतिनिधियों को चुनते हैं जो ये निर्णय लेते हैं. तो मेरा यह कहना सही नहीं होगा कि यह मेरा फैसला है. उन्होंने कहा, यह फैसला कांग्रेस पार्टी को करना है और यह प्रक्रिया इस समय जारी है. गांधी ने कहा कि भाजपा अधिकतर उन्हीं कार्यक्रमों को लागू कर रही है जो कांग्रेस के शासन में शुरू किए गए थे.

उन्होंने कहा, उन्होंने मूल खाका हमसे उधार लिया है, लेकिन वह खाका काम नहीं करता है, हम यह जानते हैं. इसने काम करना बंद कर दिया है. राहुल गांधी ने कहा कि अहिंसा की महात्मा गांधी की शिक्षा पर आज भारत में हमला हो रहा है. उन्होंने कहा, अहिंसा के विचार ने ही लोगों की इसबड़ी संख्या को एक साथखड़ा किया. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की भी आलोचना की.

गांधी ने कहा, जहां तक अमेरिका (के साथ संबंध में) की बात है, मैं उनकी स्थिति से पूरी तरह इत्तेफाक रखता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि वे भारत को कमजोर बना रहे हैं क्योंकि यदि आप नेपाल की ओर देखते हैं, तो चीनी वहां हैं. यदि आप बर्मा को देखते हैं, तो वहां चीनी हैं. यदि श्रीलंका को देखें, तो वहां चीनी हैं. यदि आप मालदीव को देखे, तो वहां चीनी हैं. उन्होंने कहा, मैं (विदेश नीति की) मूल दिशा…. अमेरिका के साथ मित्रता, अमेरिका के साथ निकट संबंध को लेकर सहमत हूं, लेकिन भारत को अलग-थलग नहीं कीजिए क्योंकि यह खतरनाक है.

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कांग्रेस में अहंकार आने की राहुल की स्वीकारोक्ति सोनिया गांधी पर तंज, कांग्रेस चिंतन करे : स्मृति ईरानी

नयी दिल्ली : राहुल गांधी के बर्कले यूनिवर्सिटी में दिए भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष का यह कहना अपने आप में एक बहुतबड़ी स्वीकारोक्ति है कि साल 2012 में कांग्रेस में अहंकार आ गया था और उनका इसे चुनाव में पार्टी की हार से जोड़ना कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इससे वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तंज कर रहे हैं. राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा, एक विफल वंशवादी ने अपनी विफल राजनीतिक यात्रा के बारे में अमेरिका में चर्चा की. भारत में वंशवाद को कोई समर्थन प्राप्त नहीं है. स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसना राहुल गांधी की पुरानी आदत है. यह उनकी नाकाम रणनीति है. वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी राजनीतिक पीड़ा व्यक्त कर रहे थे लेकिन वह भूल गए कि 2014 में वोटर ने वोट के माध्यम से नरेंद्र मोदी में अपना विश्वास व्यक्त किया. वे जिस देश के नागरिक है, उस देश के लोग उनके कथन का समर्थन नहीं कर रहे हैं और इसके बाद अब वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं. लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि इस देश के नागरिक ही वोटर होते हैं और देश के मतदाता अपने वोट के जरिये प्रधानमंत्री मोदी में विश्वास व्यक्त कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि राहुल द्वारा 2012 में कांग्रेस में अहंकार आने की बात कहना बहुतबड़ी स्वीकारोक्ति है. यह कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इसके जरिए वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी तंज कर रहे हैं क्योंकि उस समय सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्षा थीं. स्मृति ने कहा कि आज अगर राहुल गांधी की सफलता और विफलता का सही मापदंड देखना चाहते हैं तो अमेठी जाकर देखना चाहिए, वह इस बारे में चर्चा कर रहे थे कि भारत को कैसे सुनहरा भविष्य दे सकते हैं. ऐसे में अगर अमेठी के विकास पर चर्चा हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश में कहा कि हिन्दुस्तान तो ऐसा ही है जहां वंशवाद से सब कुछ चलता है तो शायद वह भूल गए कि हिन्दुस्तान में कई ऐसे नागरिक हैं जो कई क्षेत्रों में योगदान देते हैं लेकिन उनकी कोई राजनीतिक विरासत नहीं है. प्रधानमंत्री मोदी भी गरीब परिवार से आते हैं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी दलित परिवार से आते हैं. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी किसान परिवार से आते हैं और संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचे हैं. इन तीन सर्वोच्च पदों पर इन व्यक्तियों का होना बताता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद नहीं बल्कि प्रतिभा की जगह होती है.

जीएसटी पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर स्मृति ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी को यदि दूसरों को सुनने की आदत होती तो कांग्रेस के शासनकाल में ही जीएसटी पास हो जाता. स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कार्यकाल में जीएसटी पारित नहीं होना अपने आप में इस बात का संकेत है कि उसने प्रदेशों और राज्य सरकारों को विश्वास में लेने का प्रयास नहीं किया. उन्होंने जोर दिया कि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जीएसटी के विषय पर सभी दलों और प्रदेश सरकारों को विश्वास में लिया गया. यह सहकारी संघवाद और बेहतर राजनीतिक संवाद का उदाहरण है. वित्त मंत्री अरुण जेटली भी बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि जीएसटी के बारे में जो भी फैसले लेते हैं, वे सभी प्रदेश सरकारों की सहमति से होते हैं. खबरों के अनुसार, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बर्कले यूनिवर्सिटी में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है. हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है. हिंसा में मैंने अपने पिता और दादी को खोया है. उन्होंने कहा कि संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदीलायीगयी और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आयी है.

राहुल ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को तैयार हैं, अगर पार्टी कहेगी तो जिम्मेदारी लूंगा. राहुल ने वंशवाद पर कहा कि हमारा देश परिवारवाद से ही चलता है. उन्होंने कहा, परिवारवाद पर हमारी पार्टी पर निशाना न साधें, हमारा देश इसी तरह काम करता है. इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2012 में कांग्रेस पार्टी के अंदर अहंकार भर गया था और पार्टी ने जनता से संवाद कम कर दिया, जिसके चलते लोगों से दूरी बन गयी.

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