पटना : पूर्व मंत्री की बेटी के यौनशोषण के मामले में ऑटोमोबाइल कारोबारी निखिल प्रियदर्शी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. एडीजे वन परवेज आलम के कोर्ट ने गुरुवार को उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. अब उसे या तो सरेंडर करना होगा या फिर कुर्की-जब्ती का सामना करना पड़ सकता है.
वहीं, एक अन्य आरोपित कांग्रेस नेता ब्रजेश पांडेय की जमानत अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई होगी. निखिल की अर्जी पर एडीजे वन के कोर्ट में सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि लड़की बालिग है. उसका न तो यौनशोषण किया गया है और न ही शादी का झांसा दिया गया है, इसलिए दुष्कर्म का आरोप नहीं बनता है और निखिल को जमानत दी जाये. अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया और कहा कि जन्म प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज प्रमाणित करते हैं कि लड़की नाबालिग है.
उसे बहला-फुसला कर निखिल व उसके दोस्त ने उसका यौनशोषण किया है. उन्होंने फोटो भी पेश किये, जिनमें निखिल व पीड़िता के अंतरंग क्षणों की सीन है. साथ ही एक रेकॉर्डिंग भी पेश की गयी, जिसमें निखिल व पीड़िता के बीच घंटों हुई बातचीत का ब्याेरा है. अधिवक्ता ने यह भी कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म की पुष्टि हुई है. इसके बाद कोर्ट ने यह मान लिया कि लड़की के साथ दुष्कर्म हुआ है और निखिल मुख्य आरोपित है. उसे जमानत नहीं दी जा सकती है.
मालूम हो कि 22 दिसंबर को एससी-एसटी थाने में पीड़िता ने निखिल प्रियदर्शी, उसके पिता-भाई व दोस्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसके बाद 164 के बयान में भी पीड़िता ने दुष्कर्म की जानकारी दी. इस मामले में कोर्ट निखिल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर चुका है. उसके पिता-भाई की जमानत याचिका को भी कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है.
