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पटना : 14 वर्षों में साढ़े चार गुनी से ज्यादा बढ़ी बिजली की खपत, देखें आंकडे़ं

कृष्ण कुमार बिहार के 93% घरों में पहुंची बिजली, दिसंबर तक सभी घर होंगे रोशन पटना : बिहार ने हाल के वर्षों में बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. पिछले 14 वर्षों में राज्य में बिजली की खपत साढ़े चार गुनी से अधिक बढ़ गयी है. राज्य के सभी गांवों और टोलों के […]

कृष्ण कुमार
बिहार के 93% घरों में पहुंची बिजली, दिसंबर तक सभी घर होंगे रोशन
पटना : बिहार ने हाल के वर्षों में बिजली के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. पिछले 14 वर्षों में राज्य में बिजली की खपत साढ़े चार गुनी से अधिक बढ़ गयी है. राज्य के सभी गांवों और टोलों के विद्युतीकृत होने के बाद अब 93% घरों में बिजली पहुंच गयी है.
मुख्यमंत्री के सात निश्चय के तहत इस साल दिसंबर तक सभी घरों में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य है. ऐसे में बिजली की खपत में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है. 2005 में राज्य में बिजली की खपत मात्र 1122 मेगावाट थी, जो इस साल अगस्त में बढ़ कर 5008 मेगावाट हो गयी. हालांकि राज्य का अपना बिजली उत्पादन शून्य हो गया है. इसका कारण यह है कि राज्य सरकार ने अपने बिजलीघरों को एनटीपीसी को सौंप दिया है. इससे वहां से उत्पादित बिजली पहले से अपेक्षाकृत सस्ती पड़ने की संभावना है.
बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड के सूत्रों का कहना है कि राज्य में तीन बिजली उत्पादन केंद्र कांटी, नवीनगर और बरौनी थर्मल पावर थे.
इन्हें एनटीपीसी के सुपुर्द कर दिया गया है. उनके पास कोल ब्लॉक हैं, जिनसे सस्ती दर पर कोयला उपलब्ध है. ऐसे में बिजली उत्पादन की लागत में कमी होगी और आने वाले समय में बिजली सस्ती होगी. उन्होंने कहा कि एनटीपीसी से यह करार 30 वर्षों के लिए है, जो बिहार सरकार की लीज नीति के तहत है. एनटीपीसी को बिजली कंपनी सौंपे जाने के बाद बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड के इंजीनियर और कर्मियों की सेवा बिजली कंपनी की संचरण और वितरण क्षेत्र के लिए ले ली जायेगी. जेनरेशन कंपनी बंद नहीं होगी. यह अब हाइडल और सोलर ऊर्जा उत्पादन इकाइयों पर केंद्रित होगी.
राज्य के बिजलीघर एनटीपीसी के हवाले करने से सालाना 875 करोड़ रुपये की होगी बचत
इस समय तीनों बिजलीघर चलाने में बिहार को संचालन, प्रबंधन के साथ-साथ तकनीकी समस्याओं से भी जूझना पड़ रहा था. इसके अलावा इन बिजलीघरों से उत्पादित बिजली महंगी भी पड़ रही थी. अधिकारियों का कहना है कि एनटीपीसी को ये बिजलीघर सौंपने के बाद सालाना 875.06 करोड़ रुपये की बचत होगी.
उनके अनुसार बरौनी थर्मल पावर के स्टेज-1 और स्टेज-2 के अनुमानित टैरिफ में कमी आयेगी. अभी आकलन 5.32 रुपये और 6.30 रुपये प्रति यूनिट का है, जो घटकर क्रमश: 5.11 रुपये और 4.37 रुपये हो जायेगा. यहां से 684.07 करोड़ रुपये की बचत होगी. वहीं कांटी के स्टेज-1 और स्टेज-2 की बिजली की दर का आकलन प्रति यूनिट 4.86 रुपये व 6.36 रुपये है जो घटकर 4.79 रुपये व 6.13 रुपये प्रति यूनिट हो जायेगा. इससे प्रतिवर्ष 54.69 करोड़ रुपये की बचत होगी. नवीनगर बिजली उत्पादन इकाई सौैंपे जाने से 136.39 करोड़ रुपये की बचत होगी.
एटी एंड सी लॉस में कमी 507 करोड़ की हुई बचत
चालू वित्तीय वर्ष में दोनों वितरण कंपनियों में एग्रीगेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल (एटी एंड सी) 29% और 23.50% तक होने का अनुमान है.
दो वर्ष पहले साउथ बिहार का 44.32 और नॉर्थ बिहार का 34.20 फीसदी लॉस था, जो अब औसतन 36.75% रह गया है. चालू वर्ष में नुकसान में कम-से-कम पांच फीसदी कमी आने का अनुमान है. नुकसान की संभावना और आयोग के टारगेट के अंतर को पाटने के लिए दोनों वितरण कंपनियों को 968.88 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जो पिछले वर्ष के 1476 करोड़ रुपये की तुलना में 507.12 करोड़ कम हैं. वर्ष 2017-18 में केवल बिजली बिल के भुगतान से 8000 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है.
दिसंबर तक सभी इच्छुक लोगाें को बिजली कनेक्क्शन देने का लक्ष्य हर हाल में पूरा कर लिया जायेगा. राज्य सरकार ने सभी बिजली उत्पादन इकाइयाें को बेहतर संचालन के लिए केंद्र सरकार के अधीन वाले संस्थानों को दे दिया है. वे संस्थान उत्पादन कर रही हैं और बिहार सरकार अासानी से बिजली खरीद रही है.
बिजेंद्र प्रसाद यादव, ऊर्जा मंत्री
ऐसे बढ़ी बिजली खपत
वर्ष मेगावाट खपत
2005 1122
2006 1213
2007 1244
2008 1348
2009 1508
2010 1664
2011 1712
2012 1802
2013 2335
2014 2831
2015 3459
2016 3769
2017 4133
2018 5008

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