राफेल सौदेे को घोटाला व पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने वाला बताया
बोधगया : केंद्र सरकार द्वारा फ्रांस की कंपनी से राफेल लड़ाकू विमान की खरीद के लिए हुए सौदे पर सवाल उठाते हुए गुजरात कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोडवाडिया ने कहा कि राफेल घोटाला देशहित को दांव पर लगा कर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के साथ ही पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के गड़बड़झाले का जीता-जागता उदाहरण है. बुधवार को बोधगया में प्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार ठहराया व कहा कि राफेल के मामले में भारत सरकार की कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड(एचएएल) को दरकिनार करते हुए सौदा होने के मात्र 12 दिन पहले ही रजिस्टर्ड अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को एक लाख 30 हजार करोड़ रुपये का ठेका दे दिया गया.
इसमें राफेल डसॉल्ट एविएशन का 30 हजार करोड़ रुपये का ऑफसेट कांट्रैक्ट व एक लाख करोड़ रुपये का लाइफ साइकल कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट शामिल है. प्रेस वार्ता के दौरान जिला कांग्रेस के अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद यादव, वजीरगंज विधायक सह पूर्व मंत्री अवधेश कुमार सिंह, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के स्थापना प्रभारी अजय कुमार, सुनील कुमार सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष अजय कुमार यादव, चिरागउद्दीन रहमानी, प्रदेश प्रतिनिधि संजय कुमार सिंह, रजनीश कुमार, धर्मेंद्र कुमार निराला, लाछो देवी व अन्य मौजूद थे. कार्यकर्ताओं ने श्री मोडवाडिया को वजनदार माला पहना कर स्वागत किया. श्री मोडवाडिया ने गया में विष्णुपद मंदिर में पूजा-अर्चना भी की.
कांग्रेस की यूपीए सरकार ने की थी डील
श्री मोडवाडिया ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान 12 दिसंबर 2012 को खुली अंतरराष्ट्रीय बोली के अनुसार 126 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे गये व प्रत्येक विमान का मूल्य 526.10 करोड़ रुपये था. 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस(फ्रांस) में 7.5 बिलियन यूरो में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की ऑफ द शेल्फ इमरजेंसी खरीद की घोषणा कर दी.
राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ का दिया हवाला
श्री मोडवाडिया ने कहा कि पीएम मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ करते हुए भारतीय वायुसेना के लिए आवश्यक लड़ाकू विमानों की संख्या घटा कर 36 कर दी. अप्रैल 2015 में विमान खरीदने का फैसला किये जाने के आठ साल बाद ये विमान वायुसेना को मिलेंगे, तो फिर यह इमरजेंसी खरीद किस बात की है.
