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Thursday, March 28, 2024

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भारत की आर्थिक वृद्धि दर पांच साल के न्यूनतम स्तर पर, 45 साल में सर्वाधिक बेरोजगारी

नयी दिल्ली : कृषि एवं विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन के चलते वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी. दूसरी तरफ आम चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों पर जो रिपोर्ट लीक हुई थी शुक्रवार को सरकारी आंकड़ों […]

नयी दिल्ली : कृषि एवं विनिर्माण क्षेत्र में कमजोर प्रदर्शन के चलते वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गयी. दूसरी तरफ आम चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों पर जो रिपोर्ट लीक हुई थी शुक्रवार को सरकारी आंकड़ों में उसकी पुष्टि हो गयी. 2017- 18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 प्रतिशत रही.

इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने साथ ही कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 6.8 प्रतिशत रही है. जीडीपी वृद्धि की यह दर 2014-15 के बाद सबसे धीमी है. इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 में जीडीपी वृद्धि की गति 6.4 फीसदी रही थी. चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर चीन की आर्थिक वृद्धि की गति 6.4 प्रतिशत से कम रही. मोदी सरकार के शपथ लेने के दूसरे दिन ही अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर यह बुरी खबर है.

हालांकि, वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39 प्रतिशत रहा है. यह बजट के 3.40 प्रतिशत के संशोधित अनुमान की तुलना में कम है. राजकोषीय घाटे के बजट के संशोधित अनुमान से कम रहने का मुख्य कारण कर से अन्यत्र अन्य मदों में प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि तथा खर्च का कम रहना है. आंकड़ों के संदर्भ में कहा जाये तो 31 मार्च 2019 के अंत में राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपये रहा है, जबकि बजट में राजकोषीय घाटे के 6.34 लाख करोड़ रुपये रहने का संशोधित पूर्वानुमान व्यक्त किया गया था. राजकोषीय घाटे के आंकड़े हालांकि बढ़े हैं, लेकिन जीडीपी के बढ़े आंकड़े से इसकी तुलना करने पर यह 3.39 प्रतिशत रहा है. महालेखा नियंत्रक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.39% रहा. हालांकि, वास्तविक आंकड़ों में राजकोषीय घाटा बढ़ा है, लेकिन जीडीपी बढ़ने के कारण इसकी तुलना में राजकोषीय घाटा का अनुपात कम हुआ है.

दूसरी तरफ आम चुनाव से पहले बेरोजगारी के आंकड़ों पर जो रिपोर्ट लीक हुई थी शुक्रवार को सरकारी आंकड़ों में उसकी पुष्टि हो गयी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में 2017- 18 में बेरोजगारी दर कुल उपलब्ध कार्यबल का 6.1 प्रतिशत रही जो 45 साल में सर्वाधिक है. श्रम मंत्रालय ने यह आंकड़ा ऐसे समय जारी किया है जब नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत करते हुए मंत्रियों ने पदभार संभाला. मंत्रालय द्वारा जारी इन आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में रोजगार योग्य युवाओं में 7.8 प्रतिशत बेरोजगार रहे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह अनुपात 5.3 प्रतिशत रहा. अखिल भारतीय स्तर पर पर पुरुषों की बेरोजगारी दर 6.2 प्रतिशत, जबकि महिलाओं के मामले में 5.7 प्रतिशत रही.

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