इसलिये सरकार के साथ होने वाली वार्ता केवल अलग राज्य गोरखालैंउ पर होनी चाहिए. श्री लिम्बू ने आगे कहा कि गोरखालैंड की मांग में पिछले 13 जून को मोरचा ने सर्वदलीय बैठक बुलायी थी और गोरामुमो ने भी पुरानी बातों को भूला कर केवल गोरखालैंड के लिए सर्वदलीय बैठक में भाग लिया था.इसलिए अब सरकार के साथ जो भी बातचीत होगी, उसमें सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर होनी चाहिए.
श्री लिम्बू ने यह भी कहा कि पहाड़ में जितने भी राजनीतिक दल हैं उसमें केवल गोरखा ही शामिल हैं. इसलिए गोरखालैंड आंदोलन में हिल तृणमूल कांग्रेस, जन आन्दोलन पार्टी आदि जैसे राजनीतिक दलों को भी साथ देना होगा. दूसरी बात 13 जून की सर्वदलीय बैठक में गोरामुमो की ओर से मोरचा के विधायकों के इस्तीफा देने, पहाड़ के सभी नगर पालिकाओं के पार्षदों को इस्तीफा देने के साथ ही जीटीए से भी गोजमुमो नेताओं के इस्तीफा देने की शर्त रखी गयी है. उन्हें पूरा विश्वास है कि हमारी शर्तों को ये लोग जरूर स्वीकार करेंगे. बंगाल सरकार द्वारा गठन किये गये विकस बोर्ड के चेयरमैन, वाइस चेयरमैन से भी अपने-अपने पदों से इस्तीफा देने की अपील उन्होंने की है.
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बार-बार कहती आ रही हैं कि मैं पहाड़ को बहुत प्यार करती हूं. यदि सच में ममता दीदी को पहाड़वासियों से इतना ही प्यार है, तो पहाड़वासियों की भावना को समझते हुए गोरखालैंड गठन की मांग पर ध्यान देना चाहिए था.इधर, अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर गोरामुमो द्वारा शहर के चौक बाजार आदि क्षेत्रों में पोस्टर लगाया गया है.