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क्यों आता है भूकंप? दिल्ली-NCR को सबसे अधिक खतरा, जानें किस तीव्रता पर होती है सबसे अधिक तबाही

हमारी धरती 7 प्‍लेट्स से मिलकर तैयार हुई है. ये सारे प्लेट्स लगातार घुमती रहती है. इसे प्‍लेट टैक्‍टॉनिकक या प्‍लेट विवर्तनिकी भी कहा जाता है. जहां पर ये प्‍लेट्स आपस में टकाराती हैं, वहां जोन फॉल्‍ट लाइन फॉल्‍ट होता है.

दिल्ली-NCR सहित उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. जिसकी तीव्रता 6.6 आंकी गयी. भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में फैजाबाद से 133 किमी दक्षिण-दक्षिण पूर्व में 156 किमी की गहराई में था. भारत के अलावा पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किये गये. पाकिस्तान में भूकंप से अबतक 9 लोगों की मौत और 160 से अधिक लोग घायल हुए हैं. भूकंप से सबसे अधिक खतरा दिल्ली-एसीआर को बताया जाता है. तो आइये जानें कि आखिर भूकंप क्यों आते हैं और किस तीव्रता में सबसे अधिक नुकसान का खतरा रहता है.

क्यों आता है भूकंप

हमारी धरती 7 प्‍लेट्स से मिलकर तैयार हुई है. ये सारे प्लेट्स लगातार घुमती रहती है. इसे प्‍लेट टैक्‍टॉनिकक या प्‍लेट विवर्तनिकी भी कहा जाता है. जहां पर ये प्‍लेट्स आपस में टकाराती हैं, वहां जोन फॉल्‍ट लाइन फॉल्‍ट होता है. प्लेट्स के लगातार आपस में टकराने से कोने मुड़ने लगते हैं और ज्यादा दबाव बनने पर टूटने भी लगते हैं. वैसी स्थिति में बहुत धरती से बहुत अधिक ऊर्जा निकलती है और ये धरती से बाहर आने की कोशिश करती है. गति पर प्रभाव पड़ने के बाद भूकंप के झटके आते हैं.

किस तीव्रता में सबसे अधिक आती है तबाही

भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है. भूकंप की तीव्रता 0 से 9 तक होती है. इसे इस प्रकार समझा जा सकता है.

0-1.9 तीव्रता – यह सिर्फ सीज्मोग्राफ से पता चलता है. 2-2.9 तीव्रता – इसमें हल्‍का कंपन होता है, जिसमें कोई नुकसान नहीं होता. 3 से 5.9 तीव्रता को भी ज्यादा बताया जाता है, हालांकि इसमें भी नुकसान का कोई खतरा नहीं रहता है. 6-6.9 तीव्रता- इसे खतरनाक बताया जाता है. इसमें इमारतों में दरार पड़ने का खतरा रहता है. इसमें अधिक नुकसान हो सकता है. 7 से 7.9 के बीच अगर तीव्रता हो तो इमारतें गिरने लग जाती हैं. इसमें भारी नुकसान का खतरा रहता है. अगर भूकंप की तीव्रता 8 से 8.9 के बीच हो तो सुनामी का खतरा बढ़ जाता है. वहीं अगर भूकंप की तीव्रता 9 या उससे अधिक हो तो भारी तबाही मवती है. सुनामी की संभावना बढ़ जाती है.

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दिल्ली-एनसीआर को भूकंप से अधिक खतरा

दिल्ली-एनसीआर को भूकंप से अधिक खतरा बताया जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली-एनसीआर भूकंप के पांचवें और चौथे जोन में आता है. भारत में भूकंप के पांच जोन हैं. पांचवें जोन में दिल्ली के अलावा कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से, उत्तराखंड का पूर्वी भाग, गुजरात का कच्छ और उत्तरी बिहार का कुछ हिस्सा.

भूकंप की भविष्यवाणी कोई नहीं कर सकता, लेकिन हम उनका पूर्वानुमान लगा सकते हैं

विनाशकारी भूकंपों के बाद, भूकंप की भविष्यवाणी के बारे में चर्चा होना आम बात है. भूकंप की भविष्यवाणी के लिए, भविष्य में आने वाले भूकंप के विशिष्ट समय, स्थान और परिमाण के बारे में पहले से ही बताने की आवश्यकता होती है. हालांकि, वैज्ञानिक भले ही भूकंप की भविष्यवाणी करने में सक्षम नहीं हैं, लेकिन हम उनका पूर्वानुमान लगाने में सक्षम हैं. पिछले भूकंपों के समय, स्थान और परिमाण के विवरण को देखते हुए, यह एकदम स्पष्ट हो जाता है कि उन प्लेटों के आंतरिक भाग की तुलना में पृथ्वी की सतह बनाने वाली टेक्टोनिक प्लेटों की सीमाओं के साथ विनाशकारी भूकंपों की अधिक संभावना है. हाल के दशकों में, भूकंपीय रिकार्डर के विश्वव्यापी नेटवर्क की स्थापना ने भी बहुत छोटे भूकंपों और झटकों का पता लगाने में सहायता की है – जिसमें लोगों द्वारा महसूस की जाने वाली बहुत छोटी भूकंपीय घटनाएं भी शामिल हैं.

भारत में छोटे-छोटे झटके बड़े पैमाने पर भूकंप का खतरा कम कर रहे : विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे-छोटे झटके विवर्तनिक दबाव को कम करने तथा भारत को एक विनाशकारी भूकंप से बचाने में मदद कर रहे हैं. भारत भूकंप के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्र है लेकिन हम सौभाग्यशाली हैं कि हमारे यहां हर दिन कई छोटे-छोटे भूकंप आते हैं इसलिए एकत्र हुई ऊर्जा निकल जाती है.

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