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चीता लाने के लिए नामीबिया पहुंचा टाइगर फेस विमान, 17 सितंबर को कुनो नेशनल पार्क में उतारेंगे पीएम मोदी

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है कि कुनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों को रहने के लिए मुक्त किया जाना भारत के वन्य जीवन और वन्य जीवों के आवास को पुनर्जीवित करने एवं इसमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है.

विंडहोक (नामीबिया) : मध्य प्रदेश स्थित कुनो नेशनल पार्क में नामीबिया से चीता लाने के लिए भारत एक विमान विंडहोक पहुंच गया है. इस विशेष विमान को टाइगर के चेहरे की आकृति की तरह तैयार किया गया है. समाचार एजेंसी एएनआई की एक खबर के अनुसार, नामीबिया से लाए जाने वाले चीतों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में आगामी 17 सितंबर को उतारा जाएगा. इस विशेष विमान को नामीबिया पहुंचने को लेकर विंडहोक स्थित भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया है. अपने आधिकारिक ट्वीट में नामीबिया के विंडहोक स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा कि टाइगर लैंड पर सद्भावना राजदूतों को ले जाने के लिए बहादुरों की सरजमीं पर एक विशेष विमान उतरा है.

शनिवार को कुनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे पीएम मोदी

रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामीबिया से भारत लाए गए चीतों को शनिवार 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे. प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा है कि कुनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों को रहने के लिए मुक्त किया जाना भारत के वन्य जीवन और वन्य जीवों के आवास को पुनर्जीवित करने एवं इसमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है.

आखिरी बार 1948 में देखा गया था चीता

बता दें कि भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था. छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी बार चीता देखा गया था. प्रधानमंत्री शनिवार को श्योपुर जिले के कराहल में स्व-सहायता समूह के एक सम्मेलन में भी शिरकत करेंगे. इसी दिन यानी 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन भी है. इन चीतों को इस साल की शुरुआत में हुए समझौता ज्ञापन के तहत एक विशेष बी747 विमान से नामीबिया की राजधानी विंडहोक से लाया गया है.

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चीतों से ग्रासलैंड इकोसिस्टम होगा बहाल

पीएमओ ने कहा कि भारत में चीता को फिर से बसाने का कार्य, प्रोजेक्ट चीता के तहत किया जा रहा है, जो बड़े जंगली मांसाहारी जानवर के अंतर-महाद्वीपीय स्थानांतरण से जुड़ी दुनिया की पहली परियोजना है. प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि चीता भारत में खुले जंगल और घास के मैदान की पारिस्थितिकी (ग्रासलैंड इकोसिस्टम) को बहाल करने में मदद करेंगे. यह कार्यक्रम जैव विविधता के संरक्षण में मदद करेगा और इससे जल सुरक्षा, कार्बन अवशोषण और मिट्टी की नमी संरक्षण जैसी पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी, जिससे समाज को बड़े पैमाने पर लाभ प्राप्त होगा. पर्यावरण संरक्षण और वन्यजीव संरक्षण के सन्दर्भ में प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता के अनुरूप इस प्रयास से पर्यावरण विकास और पर्यावरण पर्यटन गतिविधियों के जरिये स्थानीय समुदाय के लिए आजीविका के अवसरों में वृद्धि होगी.

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