North-East: देश का उत्तर-पूर्व सिर्फ भारत का भू-भाग नहीं बल्कि देश के विकास का प्रमुख केंद्र है. उत्तर-पूर्व देश के भविष्य को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है. मिजोरम में 100 फीसदी साक्षरता दर है और युवाओं में कौशल क्षमता काफी है. यह क्षेत्र सामुदायिक विकास का सबसे बड़ा केंद्र है. ऐसे में सरकार को युवाओं के कौशल विकास के साथ इस क्षेत्र की क्षमता का दोहन करने के लिए इकोसिस्टम का विकास करना होगा. शनिवार को राइजिंग नार्थ-ईस्ट समिट 2025 के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता(स्वतंत्र प्रभार) राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने यह बात कही. इस कार्यक्रम का मकसद उत्तर-पूर्व में राज्यों में विभिन्न क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना है. कार्यक्रम के जरिये वैश्विक निवेशक, नीति-निर्माताओं, उद्यमियों और सामुदायिक नेताओं को एक मंच पर लाने की कोशिश की गयी है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भविष्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निहित है और भारत काे स्वदेशी निर्मित एआई तकनीक विकसित करने के लिए तैयार करना होगा. इसके लिए सरकार छात्रों को एआई तकनीक की जानकारी देने का काम कर रही है. उत्तर-पूर्व में इसके विकास की काफी संभावना है. देश को इस क्षेत्र के ऊर्जा का सही तरीके से प्रयोग करने की आवश्यकता है. ताकि अरुणाचल प्रदेश से लेकर असम तक के युवाओं को बेहतर मौका मिल सके.
उत्तर-पूर्व का विकास देश के विकास के लिए जरूरी
जयंत चौधरी ने कहा कि इस क्षेत्र में संभावनाओं की कमी नहीं है. असम के भाबेंद्र मोहन बोरगोहेन ने 500 चाय उत्पादक किसानों के सहयोग से किसान उत्पाद कंपनी का गठन किया. इस उत्पाद कंपनी के पास आधुनिक सुविधा वाला केंद्र है और हर साल एक लाख किलोग्राम ऑर्गेनिक चाय का उत्पादन किया जा रहा है. इसी तरह मेरिना लाहिरी महिला समूह के साथ मिलकर एरी सिल्क का उत्पादन कर रही है. इसके उत्पादन में राज्य की परंपरा के साथ सतत विकास के लक्ष्य को भी महत्व दिया गया है. इसे भारत सरकार की ओर से भी मान्यता दी गयी है.
उत्तर-पूर्व के राज्य में ऐसी कई कहानियां है, जो लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर रही है. वर्षों से यह क्षेत्र मुख्यधारा की आर्थिक योजना के दायरे से बाहर रहा है. लेकिन निवेश कार्यक्रम के जरिए एक सशक्त संदेश देश और दुनिया के लोगों को गया है. आज उत्तर-पूर्व के राज्य भारत की विकास यात्रा में सहभागी की भूमिका अदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कौशल विकास मंत्रालय की ओर से लाखों युवाओं को प्रशिक्षित करने का काम किया गया है और इसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक रही है.