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NIA की शीघ्र कार्रवाई से रुका अमरावती और उदयपुर जैसी हत्याओं का सिलसिला! जांच में सामने आयी ये बात

NIA Action: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दावा किया है कि अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या करने वाले लोग कट्टरपंथी थे और तब्लीगी जमात के सदस्य थे. वहीं, उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या कर पूरे देश में दहशत फैलाने का प्रयास किया गया था.

NIA Action: महाराष्ट्र के अमरावती और राजस्थान के उदयपुर में बीते दिनों हुए नृशंस हत्या मामलों में बड़ा खुलासा हुआ है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दावा किया है कि अमरावती के फार्मासिस्ट उमेश कोल्हे की हत्या करने वाले लोग कट्टरपंथी थे और तब्लीगी जमात के सदस्य थे. वहीं, बताया जा रहा है कि राजस्थान के उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की नृशंस हत्या कर पूरे देश में दहशत फैलाने का जो प्रयास किया गया था, उसमें पाकिस्तानी हाथ उजागर हो गया है. इन हत्याओं पर एनआईए की चार्जशीट में कथित ईशनिंदा के साथ देश में इस्लामिक कट्टरपंथ के स्तर को इंगित किया गया है. जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि पाकिस्तान में धार्मिक चरमपंथी समूह सुन्नी बरेलवी समुदाय की चरम प्रतिक्रियाओं को भारत में भड़काने के लिए हथियार के तौर इस्तेमाल किया जा रहा है.

एनआईए ने संभाला मोर्चा

जून, 2022 में सोशल मीडिया पर वैश्विक इस्लामवादियों द्वारा एक स्थानीय टीवी चैनल बहस पर भाजपा के एक पूर्व प्रवक्ता द्वारा कथित ईश-निंदा के बाद चाकुओं का उपयोग कर दोनों की बर्बर हत्याएं की गई. भले ही 21 जून, 2022 को अमरावती में केमिस्ट उमेश कोल्हे की निर्मम हत्या हुई थी, स्थानीय पुलिस ने इस घटना को डकैती सह हत्या के रूप में माना, जब तक कि गृह मंत्री अमित शाह ने हस्तक्षेप नहीं किया और एनआईए को मामले को संभालने के लिए कहा. एनआईए ने 2 जुलाई, 2022 को यूएपीए की आतंकी धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. 29 जून, 2022 को उदयपुर मामले को पहले ही अपने हाथ में लेने के बाद, उसी दिन दर्जी कन्हैया लाल को कथित ईशनिंदा के लिए पाकिस्तान से प्रेरित दो चरमपंथियों ने सिर कलम कर दिया था.

आरोपियों को तुरंत कानून के दायरे में लाया गया

उदयपुर हत्याकांड का वीडियो सोशल मीडिया में हत्यारों मोहम्मद गोस और मोहम्मद रियाज अटारी द्वारा प्रकाशित किया गया था. दोनों कराची स्थित दावत-ए-इस्लामी धार्मिक समूह के अनुयायी हैं, जो विश्व स्तर पर शरिया की वकालत करने और ईशनिंदा कानून का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. तहरीक-ए-लब्बैक आतंकी समूह इसकी चरमपंथी शाखा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय और एनआईए की तत्काल प्रतिक्रिया ने यह सुनिश्चित किया कि कथित ईशनिंदा को लेकर भारत में आगे इस तरह के घृणित अपराध नहीं हुए और आरोपियों को तुरंत कानून के दायरे में लाया गया.

पाकिस्तान से जुड़े हत्या के तार

अमरावती के 11 अभियुक्तों को तब्लीगी जमात समूह और ऑनलाइन वीडियो द्वारा स्व-कट्टरपंथी बनाया गया था. जिसमें एनआईए को कोई बाहरी लिंक नहीं मिला था. उदयपुर के हत्यारों को पाकिस्तान स्थित दावत-ए-इस्लामी द्वारा कट्टरपंथी बनाया गया था, जिसमें मुख्य आरोपी गो कराची स्थित दो व्यक्तियों के संपर्क में थे. जिनकी पहचान कराची के सलमान और अबु इब्राहिम के रूप में हुई है. गोस 2014 में दावत-ए-इस्लामी व्याख्यान में भाग लेने के लिए कराची गया था और जघन्य अपराध से पहले और बाद में उपरोक्त दो नामित अभियुक्तों के संपर्क में था.

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