Mumbai Train Blasts Case : मुंबई की एक अदालत ने साल 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त और ठोस सबूत पेश नहीं कर सका. इस मामले में जुलाई 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में सात श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे, जिनमें 180 से अधिक लोगों की मौत हुई थी. विस्फोट में सैकड़ों घायल हुए थे.
बंबई हाई कोर्ट ने क्या कहा?
बंबई हाई कोर्ट का यह फैसला शहर के पश्चिमी रेलवे नेटवर्क को हिला देने वाले आतंकवादी हमले के 19 साल बाद आया है. न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की विशेष पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी ठहराने का निर्णय नहीं लिया जा सकता. अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है. यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है इसलिए उनकी दोषसिद्धि रद्द की जाती है.’’
पीठ ने कहा कि वह पांच लोगों को मृत्युदंड और शेष सात को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि करने से इनकार करती है और उन्हें बरी करती है. अदालत ने कहा कि अगर आरोपी किसी अन्य मामले में वांछित नहीं हैं तो उन्हें जेल से तुरंत रिहा कर दिया जाए.
एक विशेष अदालत ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था
इस मामले में 2015 में एक विशेष अदालत ने 12 लोगों को दोषी ठहराया था, जिनमें से पांच को मृत्युदंड और शेष सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. राज्य भर की विभिन्न जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अदालत में पेश किए गए आरोपियों ने हाई कोर्ट के फैसला सुनाने के बाद अपने वकीलों को धन्यवाद दिया. पश्चिमी लाइन पर विभिन्न स्थानों पर मुंबई की लोकल ट्रेन में 11 जुलाई, 2006 को सात विस्फोट हुए थे.

