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Explainer : चीन-पाक के छक्के छुड़ाएगी भारत की सेना, फास्ट ट्रैक आधार पर होगी स्वदेशी हथियारों की खरीद

सरकार ने सितंबर 2016 में उरी में हुए आतंकवादी हमलों के बाद ही गोला-बारूद के भंडारण और हथियारों के निर्माण के लिए आपातकालीन महत्वपूर्ण अनुबंधों के तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना को पूंजी और राजस्व के लिए वित्तीय अधिकार दिए थे.

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में पिछले दो साल से सीमा विवाद की वजह से चीन के साथ चल रहे सैन्य टकराव के बीच रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को स्वदेशी हथियार प्रणालियों और गोला-बारूद की आपातकालीन खरीद के लिए सशस्त्र बलों को वित्तीय अधिकार देने को मंजूरी दे दी. सूत्रों के हवाले से मीडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित रक्षा अधिग्रहण परिषद की (डीएसी) की बैठक में यह फैसला किया गया है. इस बैठक में सेना के तीनों अंगों के प्रमुख और रक्षा सचिव भी उपस्थित थे. इस बैठक में हथियारों और गोला-बारूद की खरीद के लिए नई प्रक्रिया शुरू करने की मंजूरी प्रदान की गई है. इसमें घरेलू स्रोतों से फास्ट ट्रैक के आधार पर इन स्वदेशी हथियारों की खरीद की जाएगी.

तीन सौ करोड़ रुपये का अनुबंध

डीएसी की बैठक में शामिल विश्वस्त सूत्र के हवाले से अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर दी है कि इस प्रक्रिया के तहत अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया छह महीने के भीतर पूरी करनी होगी. प्रत्येक अनुबंध की ऊपरी सीमा 300 करोड़ रुपये है. नई प्रक्रिया देरी को कम करेगी और सशस्त्र बलों को परिचालन संबंधी कमियों को तेजी से दूर करने में मदद करेगी. हालांकि, रक्षा मंत्रालय ने डीएसी की बैठक के नतीजे पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार किया है.

उरी हमले के बाद सेना को मिला वित्तीय अधिकार

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने सितंबर 2016 में उरी में हुए आतंकवादी हमलों के बाद ही गोला-बारूद के भंडारण और हथियारों के निर्माण के लिए आपातकालीन महत्वपूर्ण अनुबंधों के तहत थल सेना, नौसेना और वायुसेना को पूंजी और राजस्व के लिए वित्तीय अधिकार दिए थे. उरी के आतंकी हमले की वजह से भारत का पाकिस्तान के साथ तनाव काफी बढ़ गया था, जिसका असर दोनों देशों के द्विपक्षीय राजनीतिक, आर्थिक और कारोबारी संबंधों पर प्रभावी तरीके से पड़ा.

मई 2020 के बाद सशस्त्र बलों को भी मिली आपातकालीन शक्तियां

इतना ही नहीं, मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी घुसपैठ की कोशिशों के बाद एक बार फिर से सशस्त्र बलों को आपातकालीन शक्तियां सौंप दी गईं. उन वित्तीय शक्तियों के कुछ विस्तार के तहत सशस्त्र बलों ने तब बड़ी संख्या में हथियारों की आपूर्ति के लिए इजरायल और फ्रांस जैसे देशों के साथ-साथ घरेलू स्रोतों से आपातकालीन खरीद की थी.

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2016 में उरी में सेना के मुख्यालय पर हुआ था आतंकी हमला

बता दें कि 18 सितम्बर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेख (एलओसी) के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकियों ने हमला कर दिया था. इस हमले में सेना के 16 जवान शहीद हो गए थे. वहीं, सैन्य बलों की कार्रवाई में सभी चार आतंकी मारे गए. यह भारतीय सेना पर किया गया, लगभग 20 सालों में सबसे बड़ा हमला था. उरी हमले में सीमा पार बैठे आतंकियों का हाथ बताया गया. आतंकियों द्वारा सेना के कैंप पर फिदायीन हमला किया गया था. हमलावरों के द्वारा निहत्थे और सोते हुए जवानों पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गयी, ताकि ज्यादा से ज्यादा जवानों को मारा जा सके.

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