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कांग्रेस छोड़कर तृणमूल में शामिल होने वाली सुष्मिता देव को राज्यसभा भेजेंगी ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट करके मंगलवार को यह जानकारी दी. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस सुष्मिता देव को संसद के उच्च सदन के लिए नामित कर रही है.

कोलकाताः पूर्वोत्तर में कांग्रेस की बड़ी नेता और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा, तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें इसका इनाम देने में देरी नहीं की. सुष्मिता देव को न केवल ममता बनर्जी ने पूर्वोत्तर के त्रिपुरा में अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का चेहरा बनाया, बल्कि अब उन्हें टीएमसी के टिकट पर राज्यसभा भेजने का भी फैसला किया है. इसका एलान भी कर दिया गया है.

सुष्मिता देव ने कहा है कि पश्चिम बंगाल से पूर्वोत्तर के किसी व्यक्ति को टिकट देना इस क्षेत्र के लोगों के लिए तृणमूल कांग्रेस का बड़ा संदेश है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के उम्मीदवार के लिए पश्चिम बंगाल के विधायक वोट करेंगे. यह बताता है कि तृणमूल कांग्रेस के लिए पूरवोत्तर कितना अहम है. सुष्मिता ने कहा- मैं असम की बंगाली हूं. मैं ममता बनर्जी को विश्वास दिलाती हूं कि उनको निराश नहीं करूंगी.

अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने ट्वीट करके मंगलवार को यह जानकारी दी. पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी ने कहा है कि तृणमूल कांग्रेस सुष्मिता देव को संसद के उच्च सदन के लिए नामित कर रही है. इसे तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की महिला सशक्तीकरण की दिशा में एक और कदम करार दिया गया है. टीएमसी के ट्विटर हैंडल से जो ट्वीट किया गया है, उसमें कहा गया है कि ममता बनर्जी ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति में मौका दे रही हैं. इससे समाज और देश में बदलाव लाने में मदद मिलेगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव के संदर्भ में हाल ही में कहा था कि पश्चिम बंगाल में खेला हुआ है. अब यह खेला त्रिपुरा और असम के साथ वर्ष 2024 में दिल्ली (केंद्र की सत्ता) में भी होगा.

विदेशों में सुष्मिता देव ने की है पढ़ाई

पूर्वोत्तर के प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से आने वाली सुष्मिता देव ने लंदन की टेम्स वैली यूनिवर्सिटी और किंग्स कॉलेज से पढ़ाई की. दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री लेने के बाद कुछ ही दिनों में वह राजनीति की माहिर खिलाड़ी बन गयीं. कांग्रेस में राहुल गांधी की टीम की भरोसेमंद सदस्यों में सुष्मिता भी शामिल थीं.

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अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के अध्यक्ष पद से उन्होंने इस्तीफा देकर टीएमसी का दामन थामा, तो असम कांग्रेस में बेचैनी छा गयी. सुष्मिता के पार्टी छोड़ते ही असम के बराक वैली क्षेत्र के सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी टीएमसी का दामन थाम लिया है. सुष्मिता देव बराक वैली से ही आती हैं. वह संतोष मोहन देव की सबसे छोटी बेटी हैं. संतोष मोहन देव की तरह ही मुखर हैं. किसी भी विषय पर खुलकर अपनी राय रखती हैं.

मोदी लहर में भी जीता लोकसभा चुनाव

सुष्मिता के पिता और दादा दोनों पूर्वोत्तर के प्रभावशाली नेता रहे. आजाद भारत में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ कि उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव हारा. वर्ष 2009 में सुष्मिता ने राजनीति में कदम रखा. इसी साल सिलचर नगर परिषद की अध्यक्ष बन गयीं. वर्ष 2011 में सिलचर विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुईं. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पूरे देश में नरेंद्र मोदी की लहर चल रही थी, सुष्मिता देव ने कांग्रेस के टिकट पर सिलचर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था.

Posted By: Mithilesh Jha

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