महाराष्ट्र इस वक्त दो संकटों से जूझ रहा है. एक कोरोना संकट और दूसरा सियासी संकट. कोरोना की बढ़ते मामलों की तरह की यहां राजनीतिक संकट बढ़ता जा रहा है. क्योंकि भष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर अब उनकी ही पार्टी ने सामना के जरिये अटैक किया है.
पार्टी से अपने मुखपत्र सामना के जरिये ही सरकार को नसीहत दी है. अनिल देशमुख को कम बोलने की सलाह देते हुए सामना में लिखा गया है कि पिछले कुछ महीनों से जो हो रहा है उससे राज्य की छवि को नुकसान हुआ है. पर इसके बावजूद सरकार के पास इस स्थिति से निपटने के लिए छवि को सुधारने के लिए कोई योजना नहीं है.
सामना में अनिल देशमुख को नसीहत देते हुए लिखा गया है कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों से वेवजह पंगा नहीं लेना चाहिए था. इसके साथ ही सचिन वाजे का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि वाजे पुलिस मख्यालय में बैठकर वसूली कर रहा था और गृहमंत्री के कान तक यह खबर नहीं पहुंची हो ऐसा हो ही नहीं सकता है.
लेख में कहा गया है कि जब परमबीर सिंह ने आरोप लगाया तब गृह विभाग के साथ साथ सरकार की भी खूब किरकिर हुई पर कोई भी नेता या मंत्री बचाव के लिए सामने नहीं आया. इसके अलावा यह भी कहा गया है कि 'पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट’ लेने के लिए नहीं होता है. वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है. प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे चलेगा?
सामना के जरिये सरकार गृहमंत्री को यह भी कहा गया है कि अधिकारियों पर निर्भर रहने के कारण सरकार की यह दुर्गति हो रही है. हालात यह है कि सरकार एक फिसलन भरे रास्ते से गुजर रही है और किस्मत से बच रही है.
Posted By: Pawan Singh