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पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में शामिल तो होंगे जम्मू-कश्मीर के नेता, मगर गुपकर गठबंधन उठा सकता है अनुच्छेद 370 का मुद्दा

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) प्रमुख फारूख अब्दुल्ला ने गुपकर आवास पर आयोजित पीएजीडी नेताओं की बैठक के बाद कहा कि हमारा रुख बिल्कुल साफ है और आप सभी जानते हैं कि हमारा क्या रुख है. उन्होंने कहा कि चूंकि नई दिल्ली ने नेताओं को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया है, इसलिए हमने तय किया है कि आमंत्रित सभी लोग बैठक में शिरकत करेंगे और जम्मू-कश्मीर पर अपनी बात रखेंगे.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुलावे पर एक दिन बाद 24 जून यानी गुरुवार को सर्वदलीय बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें देशभर के पक्ष-विपक्ष के नेता शामिल होंगे. पीएम मोदी की इस सर्वदलीय बैठक में जम्मू-कश्मीर से विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता भी शिरकत करेंगे, लेकिन गुपकर गठबंधन (पीपुल्स एलायंस फॉर गुपकर डिक्लेरेशन-पीएजीडी) इस बैठक में अनुच्छेद-370 का मुद्दा उठा सकता है. डेक्कन हेराल्ड की खबर के अनुसार, गुपकर गठबंधन ने मंगलवार को इस बात का एलान किया है कि वह पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में अनुच्छेद-370 का मामला उठाएगा और वह इस मामले में किसी प्रकार का समझौता भी नहीं करेगा.

नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) प्रमुख फारूख अब्दुल्ला ने गुपकर आवास पर आयोजित पीएजीडी नेताओं की बैठक के बाद कहा कि हमारा रुख बिल्कुल साफ है और आप सभी जानते हैं कि हमारा क्या रुख है. उन्होंने कहा कि चूंकि नई दिल्ली ने नेताओं को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया है, इसलिए हमने तय किया है कि आमंत्रित सभी लोग बैठक में शिरकत करेंगे और जम्मू-कश्मीर पर अपनी बात रखेंगे. उन्होंने कहा कि इस बैठक के अंत में वह प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री के सामने अपना रुख स्पष्ट करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके बाद हम आपको बता देंगे कि हमने इस बैठक में क्या कहा और उसका क्या जवाब मिला.

वहीं, पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि इस बैठक में उनका एजेंडा केंद्र सरकार की ओर से 5 अगस्त 2019 को ‘अवैध और असंवैधानिक’ रूप से छीने गए अधिकारों की बहाली की मांग करना है. उन्होंने कहा कि हम बातचीत के खिलाफ नहीं है. मुझे भरोसा है कि नई दिल्ली को राजनीतिक कैदियों को बातचीत का माहौल बनाने के लिए रिहा करना चाहिए, लेकिन ऐसा संभव नहीं है.

सीपीआई (एम) के वरिष्ठ नेता और पीएजीडी के प्रवक्ता मोहम्मद युसूफ तरीगामी ने कहा कि इस भुलावे में नहीं रहना चाहिए कि हम नई दिल्ली के एजेंडे पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम यह देखने जा रहे हैं कि नई दिल्ली क्या ऑफर करता है और यदि यह जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित में है या नहीं. अन्यथा हम कोई बड़ी चीज करने नहीं जा रहे हैं.

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Posted by : Vishwat Sen

Prabhat Khabar Digital Desk
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