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Indian Railways: डेटोनेटर दागने का क्यों है रेलवे में नियम, जिसे हो रही बदलने की बात

Indian Railways: डेटोनेटर एक तरह के विस्फोटक होते हैं और इन्हें ट्रेन के लिए इस्तेमाल होने वाली माइंस भी कहा जाता है. बताया जाता है कि इसके इस्तेमाल से खराब रेलवे ट्रैक की स्थिति के बारे में लोको पायलट को पता चल जाता है.

Indian Railways: भारतीय रेलवे टक्कर रोकने के लिए विस्फोटकों का इस्तेमाल कर होम सिग्नल पर रुकी ट्रेन के पिछले हिस्से की सुरक्षा करने वाले गार्ड की दशकों पुरानी नीति को वापस लेने पर विचार कर रहा है. आने वाली ट्रेन के लिए लाइन की उपलब्धता जैसे परिचालन कारणों से यात्री और मालगाड़ियों को रेलवे स्टेशनों के पहले स्टॉप सिग्नल या होम सिग्नल पर रोका जाना एक सामान्य प्रथा है.

क्यों किया जाता है डेटोनेटर का इस्तेमाल

हालांकि, जब ऐसी ट्रेनों का रुकना 15 मिनट से अधिक हो जाता है, तो भारतीय रेलवे के सामान्य नियम गार्ड के लिए यह निर्धारित करते हैं कि पीछे से आने वाली ट्रेन द्वारा पटरी पर खड़ी रेल के पिछले हिस्से को किसी भी संभावित टक्कर से बचाया जाए. इसके लिए गार्ड निश्चित दूरी पर डेटोनेटर लगाने के लिए बाध्य है, जो एक ट्रेन के गुजरने पर तेज आवाज के साथ कई छोटे विस्फोटों को ट्रिगर करेगा. साथ ही लोको पायलट को आगे की बाधा के बारे में चेतावनी देगा. वर्षों से सिग्नल और संचार प्रौद्योगिकियों में प्रगति के बावजूद यह प्रथा जारी रही है.

क्या है सामान्य नियम

सामान्य नियम के मुताबिक, जब कोई ट्रेन होम सिग्नल पर 15 मिनट तक रुकने के बाद, गार्ड द्वारा ट्रेन के पिछले हिस्से की सुरक्षा के लिए आगे बढ़ना चाहिए, भले ही कारण स्पष्ट हो या न हो. इसके साथ ही नियम के मुताबिक, जब कोई ट्रेन दुर्घटना, रुकावट या किसी अन्य कारण से स्टेशनों के बीच रुकती है और लोको पायलट को पता चलता है कि ट्रेन आगे नहीं बढ़ सकती है, तो वह निर्धारित कोड को बोलकर गार्ड को इस तथ्य से अवगत कराएगा. इसके तहत सीटी बजाकर या वॉकी-टॉकी या अन्य माध्यमों से और खतरे के संकेतों का आदान-प्रदान किया जाता है. गार्ड ट्रेन के पिछले हिस्से को 600 मीटर की दूरी पर एक डेटोनेटर और 1200 मीटर (प्रत्येक 10 मीटर की दूरी पर) पर तीन डेटोनेटर लगाकर सुरक्षित करेगा, जहां से ट्रेन रुकी है.

रेलवे बोर्ड को भेजा गया प्रस्ताव

रेलवे बोर्ड को भेजे गए एक प्रस्ताव में, ईस्ट कोस्ट रेलवे के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक अजय कुमार बेहरा ने कहा कि दिन-प्रतिदिन के संचालन में ट्रेनों के कई उदाहरण थे, जिनमें ज्यादातर मालगाड़ियां थीं, जिन्हें होम सिग्नल पर रोकने के लिए लाया गया था. मुख्य रूप से आने वाली ट्रेन को समायोजित करने के लिए स्टेशन पर लाइनें उपलब्ध नहीं होने के कारण ऐसा किया गया. ईस्ट कोस्ट रेलवे जैसे भारी लोड वाले रेलवे में ऐसे कई मामले थे, जहां ट्रेनों को लाइन की कमी के कारण होम सिग्नल पर 15 मिनट से अधिक समय तक रोक दिया गया था.

जानिए क्या होता है असर

ऐसे मामलों में यदि सुरक्षा करनी है, तो गार्ड को डेटोनेटर लगाने के लिए ट्रेन के पीछे 1.2 किमी तक की यात्रा करनी पड़ती है. सुरक्षा के लिए गार्ड के पीछे जाने के बाद होम सिग्नल के बंद होने की स्थिति में ट्रेन को काफी लंबी अवधि तक रोकना पड़ता है, जब तक कि गार्ड ट्रेन को शुरू करने के लिए ब्रेक वैन पर वापस नहीं आ जाता. इसका असर लाइन की क्षमता पर एक बड़ा प्रभाव डालता है और स्पष्टीकरण की आवश्यकता होती है. बेहरा ने कहा कि यह महसूस किया गया है कि अगर ट्रेन होम सिग्नल पर रुकती है, भले ही कारण स्पष्ट हो या न हो, एब्सोल्यूट ब्लॉक सिस्टम में 15 मिनट के बाद ट्रेन को पीछे की ओर सुरक्षित करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

नियमों को वापस लेने या संशोधित करने पर हो रहा विचार

बेहरा ने कहा, जबकि सुरक्षा सर्वोपरि है, ऑटोमेटिक टेरिटरी में होम सिग्नल पर 15 मिनट से अधिक रुकने वाली ट्रेनों के गार्ड द्वारा पीछे की ओर सुरक्षा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए जांच की आवश्यकता है. रेलवे के सूत्रों ने कहा कि चूंकि नीतिगत फैसले से पूरे नेटवर्क पर ट्रेन संचालन प्रभावित होगा, इसलिए रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे के महाप्रबंधकों को पत्र लिखकर नियमों को वापस लेने या संशोधित करने पर उनके विचार मांगे हैं.

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Samir Kumar
Samir Kumar
More than 15 years of professional experience in the field of media industry after M.A. in Journalism From MCRPV Noida in 2005

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