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भारतीय नौसेना खतरों से निपटने को तैयार, अपने बेड़े में रखेगी परंपरागत और परमाणु पनडुब्बियां

Indian Navy फ्रांस के साथ 90 बिलियन डॉलर के परंपरागत पनडुब्बी के निर्माण सौदे को रद्द कर आस्ट्रेलिया के अमेरिका के साथ परमाणु पनडुब्बी निर्माण सौदे के फैसले की पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना ने अलग रणनीति अपनाने का फैसला लिया है.

Indian Navy Nuclear Submarine फ्रांस के साथ 90 बिलियन डॉलर के परंपरागत पनडुब्बी के निर्माण सौदे को रद्द कर आस्ट्रेलिया के अमेरिका के साथ परमाणु पनडुब्बी निर्माण सौदे के फैसले की पृष्ठभूमि में भारतीय नौसेना ने अलग रणनीति अपनाने का फैसला लिया है. भारत ने कहा है कि उसने भारतीय नौसेना परमाणु और परंपरागत दोनों तरह की पनडुब्बी का इस्तेमाल करेगी, ताकि पड़ोसी देशों के खतरे से निपटा जा सके.

समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि खुला समुद्र होने के कारण ऑस्ट्रेलिया के लिए ज्यादा खतरा है. इस कारण उसके लिए यह फैसला सही लगता है. लेकिन, भारत के लिए खतरा खुले समुद्र और जमीन दोनों जगहों पर बना हुआ है. इसलिए भारतीय नौसेना अपने फ्लीट में परंपरागत तथा परमाणु दोनों पनडुब्बी रखेगी. ऑस्ट्रेलिया की तरह भारत को भी सिर्फ परमाणु पनडुब्बी का ही निर्माण करने के सवाल पर जवाब देते हुए अधिकारी ने यह जवाब दिया.

बता दें कि फ्रांस से डील तोड़ने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका से हाथ मिला लिया है, जो उसकी परमाणु पनडुब्बी निर्माण में मदद करेगा. जिससे ऑस्ट्रेलिया चीनी नौसेना से खतरे का मुकाबला कर सके. अधिकारी ने कहा कि भारत जैसे देश दोनों तरह की पनडुब्बियां माहौल के मुताबिक और आर्थिक लिहाज से ज्यादा उचित रहेंगी, क्योंकि परंपरागत पनडुब्बी के मुकाबले परमाणु पनडुब्बी में ऊर्जा की खपत ज्यादा होती है और इसके निर्माण में भी ज्यादा खर्च आता है.

रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने कहा कि भारत के लिए कलवरी क्लास (स्कॉर्पीन) की परमाणु पनडुब्बी बनाने में 25 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी. वहीं, परमाणु हमले में सक्षम पहली तीन पनडुब्बी के निर्माण में 50 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. अधिकारी के अनुसार, भारत जैसे देश के लिए दोनों प्रकार की पनडुब्बियों का मिश्रण आर्थिक रूप से अधिक मायने रखता है और परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों के संचालन व निर्माण की लागत पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के निर्माण की लागत से दोगुनी है.

बताया जा रहा है कि भारतीय नौसेना की 24 नई पनडुब्बियों के संचालन की योजना है. जिनमें से छह कलवरी श्रेणी की हैं. छह परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण का प्रस्ताव सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति के पास लंबित है. सूत्रों ने बताया कि योजना के तहत छह पनडुब्बियों के आखिरी बैच पर फैसला बाद में किया जाएगा. वर्तमान में, भारत के पास ‘आईएनएस अरिहंत’ के रूप में रूसी मूल के किलो क्लास, जर्मन मूल के एचडीडब्ल्यू और एक स्वदेशी बैलिस्टिक परमाणु पनडुब्बी का बेड़ा है.

अरिहंत श्रेणी परियोजना के तहत पांच परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण की योजना बनाई गई थी, जो 24 पनडुब्बी कार्यक्रम से अलग है. अधिकारी ने कहा कि दुनिया भर में अमेरिकी, फ्रांसीसी, ब्रिटिश और अब ऑस्ट्रेलियाई जैसी प्रमुख नौसेनाओं ने केवल परमाणु पनडुब्बी बेड़े में स्विच किया है. लेकिन, चीनी और रूसी नौसेना परमाणु और पारंपरिक दोनों पनडुब्बियों का मिश्रण संचालित करती है.

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