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जम्मू-कश्मीर में भटके युवाओं को वापसी का मौका दे रही है सेना, 6 माह में 17 आतंकियों का आत्मसमर्पण

नयी दिल्ली : भारतीय सेना आतंकवाद के झांसे में आए युवाओं को एक मौका देना चाहती है. इसके लिए आत्मसमर्पण नीतियों में कुछ बदलाव किया गया है. लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा कि पिछले 6 महीने में आतंकवाद में शामिल 17 युवाओं को आत्मसमर्पण नीति के तहत वापस लाया गया है. उन्होंने कहा कि हम क बेहतर आत्मसमर्पण नीति पर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

नयी दिल्ली : भारतीय सेना आतंकवाद के झांसे में आए युवाओं को एक मौका देना चाहती है. इसके लिए आत्मसमर्पण नीतियों में कुछ बदलाव किया गया है. लेफ्टिनेंट जनरल बी एस राजू ने कहा कि पिछले 6 महीने में आतंकवाद में शामिल 17 युवाओं को आत्मसमर्पण नीति के तहत वापस लाया गया है. उन्होंने कहा कि हम क बेहतर आत्मसमर्पण नीति पर सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने उन भटके युवाओं से वापस मुख्य धारा में लौटने की अपील की है. उन्होंने कहा कि आप कभी भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं. उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि भटक गये युवाओं से मेरी अपील है कि वापस आओ, आप किसी भी समय वापस आ सकते हैं, जब पुलिस ऑपरेशल चल रहा हो तब भी आत्मसमर्पण कर सकते हैं.

बीएस राजू ने कहा कि भटके हुए युवा अपने माता-पिता के माध्यम से या हमारे हेल्पलाइन पर हमसे संपर्क कर सकते हैं. हम आपकी वापसी की व्यवस्था करेंगे. बता दें कि भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए अपनी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में बदलाव किया है, जिसके तहत वह मुठभेड़ों के दौरान अपने कर्मियों की जान को खतरा होने के बावजूद आतंकवादियों के आत्मसमर्पण पर अधिक जोर दे रही है.

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दक्षिण तथा मध्य कश्मीर के हिस्सों में आतंकवादी गतिवधियों से निपटने वाले ‘विक्टर फोर्स’ के तहत काम कर रहीं राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की चार इकाइयों को शुक्रवार को सेना दिवस के मौके पर प्रतिष्ठित ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया. इकाइयों-50 आरआर, 44 आरआर, 42 आरआर तथा 34 आरआर विभिन्न आतंकवादी रोधी अधियानों में हिस्सा ले चुकी हैं और पिछले साल सितंबर से सात आत्मसमर्पण सुनिश्चित किये हैं.

पिछले साल ही यह निर्णय किया गया था कि भटके युवाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए प्रयास किये जायेंगे. राष्ट्रीय राजधानी में चार इकाइयों को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया. ये इकाइयां कुमाऊं, राजपूत, असम और जाट रेजिमेंट से जवानों को लेकर बनायी गई हैं. सेना की यह नयी रणनीति पिछले साल तब अमल में आई थी जब आतंकवादी समूह अल बद्र के आतंकवादी शोएब अहमद भट ने मुठभेड़ के दौरान हथियार डालने की इच्छा प्रकट की थी.

Posted By: Amlesh Nandan.

Prabhat Khabar Digital Desk
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