नयी दिल्ली : भारत ने सतह से सतह तक मार करनेवाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफल परीक्षण मंगलवार की सुबह करीब 10 बजे अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में किया. इसके साथ ही मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ा कर 400 किमी तक हो गयी. हालांकि, ब्रह्मोस मिसाइल की गति 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी कायम रखी गयी है.
आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण हथियार के नियोजित परीक्षणों की शृंखला के तहत किया गया है. साथ ही बताया गया है कि अगले कुछ दिनों में भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना द्वारा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के अलग अलग संस्करण का परीक्षण किया जाना है.
ब्रह्मोस एयरोस्पेस एक भारत-रूसी संयुक्त उद्यम है, जो इस घातक हथियार का उत्पादन करता है. ब्रह्मोस मिसाइल को पनडुब्बियों, पोतों, विमानों या जमीन पर से भी दागा जा सकता है. ब्रह्मोस मिसाइल के एक नौसैनिक संस्करण का 18 अक्तूबर को अरब सागर में भारतीय नौसेना के स्वदेश में निर्मित टोही विध्वंसक से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था.
भारत ने पहले ही लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कई रणनीतिक स्थानों पर मूल ब्रह्मोस मिसाइलों और बड़ी संख्या में अन्य प्रमुख हथियारों की तैनाती की है.
मालूम हो कि भारत ने पिछले ढाई महीनों में रुद्रम-1 नामक विकिरण-रोधी मिसाइल सहित कई मिसाइलों का परीक्षण किया है. रुद्रम को 2022 तक सेना में शामिल किये जाने की योजना है. भारतीय वायु सेना ने 30 अक्तूबर को बंगाल की खाड़ी में एक सुखोई युद्धक विमान से मिसाइल के हवाई संस्करण का परीक्षण किया था.