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India Nepal Border Dispute: विवादित नक्शे को यूएन और गूगल को भेजने से क्या नेपाल के झूठ को सच मान लेगी दुनिया ?

चीन पाकिस्तान के बाद अब नेपाल भी अपने नापाक इरादों से भारत को परेशान करने के लिए लग गया है. नेपाली न्यूज पोर्टल माई रिपब्लिका की खबर के मुताबिक नेपाल अब विवादित नक्शे को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी सर्च इंजन गूगल को भेजने की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि जल्द नेपाल यह काम करने वाला है. नेपाल के भूमि प्रबंधन मंत्री पद्म आयर्ल के मुताबिक नेपाल जल्द ही संशोधित नक्शा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने वाला है. विवादित नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिपयाधुरा को अपना हिस्सा बताया है.

चीन पाकिस्तान के बाद अब नेपाल भी अपने नापाक इरादों से भारत को परेशान करने के लिए लग गया है. नेपाली न्यूज पोर्टल माई रिपब्लिका की खबर के मुताबिक नेपाल अब विवादित नक्शे को संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी सर्च इंजन गूगल को भेजने की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि जल्द नेपाल यह काम करने वाला है. नेपाल के भूमि प्रबंधन मंत्री पद्म आयर्ल के मुताबिक नेपाल जल्द ही संशोधित नक्शा अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने वाला है. विवादित नक्शे में नेपाल ने कालापानी, लिपुलेख और लिपयाधुरा को अपना हिस्सा बताया है.

नेपाल से आ रही खबरों के मुताबिक नये नक्शे में जो भाषा इस्तेमाल किया गया है उसका अंग्रेजी में अनुवाद कर लिया गया है. खबर आ रही है कि नेपाल ने अपने विवादित नक्शे की करीब चार हजार प्रतियां अंग्रेजी में छपवाई है. जिसे वो अगस्त महीने के दूसरे सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजेगा. बता दे कि पड़ोसी देश नेपाल ने 20 मई को अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इस नक्शे में उसने भारतीय सीमा के अंदर के तीन क्षेत्रों को शामिल किया है. इसके बाद से ही इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच विवाद चल रहा है.

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नेपाल ने इस वर्ष जो नया राजनीतिक नक्शा तैयार किया है. उस नक्शे में उसने भारत के हिस्से वाली लिंपियाधुरा, लिपलेख और कालापानी को नेपाल का हिस्सा बताया है. जबकि इन क्षेत्रों पर भारत का दावा है. इस मसले पर भारत ने नेपाल को को साफ कर दिया था भारत ऐसे किसी नक्शे को स्वीकार नहीं करेगा, जिसका कोई ऐतिहासिक सबूत नहीं हो.

नेपाल ने अपना नया नक्शा 20 मई को जारी किया था जब भारत ने आठ मई को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए जाने वाली सड़क को खोल दिया था, जो लिपुलेख दर्रे से होकर गुजरती है. इसके बाद नेपाल की ओर से जून में कहा गया था कि वो कालापानी के पानी के नजदीक अपना आर्मी बैरक बनायेगा और देश की आसान आवाजाही के लिए वहां पर सड़क बनायेगा.

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अब नेपाल भले ही विवादित नक्शा यूएन को भेज रहा है लेकिन यह माना जा रहा है कि यूएन कभी भी विवादित नक्शे का इस्तेमाल नहीं करेगा और ना ही इसे अपने वेबसाइट पर उपल्बध करायेगा. इसके पीछे की वजह यह बतायी जा रही है कि संयुक्त राष्ट्र जब भी किसी नक्शे को छपवाता है तो उसके साथ एक डिस्कलेमर जारी करता है. जिसमें लिखा होता है कि वह नक्शे में अलग-अलग देशों द्वारा नक्शे का ना विरोध करता है और ना ही समर्थन करता है. तब सवाल यह उठता है कि क्या नेपाल बस नक्शा भेज कर अपना प्रोटोकॉल पूरा कर रहा है, क्योंकि इसमें यूएन कोई प्रतिक्रिया नहीं देगा.

Posted By: Pawan Singh

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