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राष्ट्रपति चुनाव : झारखंड की पहली महिला गवर्नर द्रौपदी मुर्मू हैं एनडीए की उम्मीदवार, जानिए पूरा प्रोफाइल

राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रह चुकी हैं.

नई दिल्ली : भारत के 16वें राष्ट्रपति के लिए आज 18 जुलाई दिन सोमवार की सुबह 10 बजे से मतदान शुरू होने के बाद शाम पांच बजे समाप्त होगा. राष्ट्रपति पद के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. इससे पहले, द्रौपदी मुर्मू 2021 तक झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुकी हैं. ओडिशा के मयूरभंज जिले में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू आज देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की उम्मीदवार हैं. आइए, जानते हैं उनका पूरा प्रोफाइल…

द्रौपदी मुर्मू कौन हैं?

राष्ट्रपति पद के लिए हो रहे चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया गया है. द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रह चुकी हैं. उन्होंने वर्ष 2015 से 2021 तक झारखंड के राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दी हैं.

द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय

द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू था. उनके पिता आदिवासी परंपराओं के मुताबिक गांव और समाज के मुखिया थे.

शिक्षक के तौर पर द्रौपदी मुर्मू ने करियर की शुरुआत की

द्रौपदी ने अपने गृह जनपद से आरंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की. पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की और कुछ समय तक इस क्षेत्र में काम किया.

द्रौपदी मुर्मू का जीवन संघर्ष

द्रौपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ. इससे उनके दो बेटे और एक बेटी हुई. बाद में उनके दोनों बेटों का निधन हो गया और पति भी छोड़कर पंचतत्व में विलीन हो गए. बच्चों और पति का साथ छूटना द्रौपदी मुर्मू के लिए कठिन दौर था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज के लिए कुछ करने के लिए राजनीति में कदम रखा.

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राजनीतिक करियर

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशा से भाजपा के साथ ही की. भाजपा में आने के बाद उन्होंने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई. भाजपा ने मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया. इसके बाद ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002 कर वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं. साल 2002 से 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया. उन्होंने ओडिशा के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता. बाद में साल 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनीं.

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