23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जज साहब! इन मीट खाने वालों से फैला Corona, हम वेजिटेरियन भी भुगत रहे… SC में पहुंचा एक अनोखा मामला

Coronavirus Covid-19 Updates, supreme court : कोरोनावायरस यानी कोविड-19 संकट के चलते देश-दुनिया के लोग अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति कैसे और किस प्रकार हुई इस पर ठोस रूप से अभी कुछ नही कहा जा सकता. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में अनोखा मामला पहुंचा है. एक जनहित याचिका (पीआईएल) में दावा किया गया है कि मांस खाने वालों की खानपान की आदतों के कारण शाकाहारी लोगों का पूरा वर्ग कोरोना वायरस संकट का सामना कर रहा है.

कोरोनावायरस यानी कोविड-19 (Covid-19) संकट के चलते देश-दुनिया के लोग अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहे हैं. इस जानलेवा वायरस की उत्पत्ति कैसे और किस प्रकार हुई इस पर ठोस रूप से अभी कुछ नही कहा जा सकता. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में अनोखा मामला पहुंचा है. एक जनहित याचिका (पीआईएल) में दावा किया गया है कि मांस खाने वालों की खानपान की आदतों के कारण शाकाहारी लोगों का पूरा वर्ग कोरोना वायरस संकट का सामना कर रहा है. शाकाहारी लोगों क वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व जैन संगठन ने याचिका जायर की है. संगठन का दावा है कि लोग घरेलू और जंगली जानवरों को केवल ‘स्वाद में बदलाव’ के लिए खाते हैं और ऐसा करने में उन्होंने मानवता को खतरे में डाल दिया है.

Also Read: केंद्रीय कर्मियों के महंगाई भत्ता ( DA) पर जुलाई 2021 तक लगी रोक, कोरोना का कहर वेतन पर
मीट-मछली खाने और बेचने पर लगे बैन

livelaw.in के मुताबिक, याचिका में कहा गया है कि यह अत्याचार और बर्बर आदत कुछ सीधे स्वाद बदलने के लिए है, जो पशु प्रेमियों के अनुच्छेद 21 के तहत उन मूल अधिकारों की जड़ों पर चोट है, जो ‘जीवन के अधिकार’ की पूर्ण सुरक्षा की गारंटी देते हैं. संगठन ने अनुच्छेद 51-ए (जी) (42 वें संवैधानिक संशोधन में सम्मिलित) का हवाला देते हुए कहा है कि तहत प्रत्येक नागरिक के लिए यह एक संवैधानिक कर्तव्य है कि वह वनों, झीलों, नदियों और वन्य जीवन सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करे और जीवन जीने के लिए जीव पर दया करे.

Also Read: Breaking News : अमेरिका में कोरोना का कहर जारी, पहली बार एक दिन में 3176 लोगों की मौत

इसके साथ ही विश्व जैन संगठन ने केंद्र और राज्य सरकारों से पशु / मछली / पक्षियों या मुर्गी के व्यापार या वध पर बैन लगाने की मांग की है. इसमें विशेष रूप से मुर्गे को हलाल करने के तरीकों के साथ-साथ किसी भी बूचड़खाने (स्लाटर हाउस) से खरीदे गए मांस के निर्यात पर रोक लगाने की मांग की गयी है.

मंत्रालय के आदेश को चुनौती

याचिका में पेश दलीलें 30 मार्च को केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी एक सर्कुलर को चुनौती देती है, जिसे मांस की खपत को बढ़ावा देने के संबंध में जारी किया गया था. याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्रालय ने मीट लॉबी के दबाव के आगे घुटने टेक दिए और समय से पहले सर्कुलर जारी किया जबकि वायरस फैलाने में पशु प्रजातियों की भागीदारी को अस्वीकार करने के लिए कोई निर्णायक शोध मौजूद नहीं है. जब पूरी दुनिया इस शोध के परिणाम का इंतजार कर रही है, तो बिना किसी आधार के मीट लॉबी के दबाव के कारण, बिना किसी प्रमाणिक शोध के मांस की खपत को बढ़ावा देने के का आदेश खतरनाक साबित हो सकता है.

याचिका में दिये गये तर्क

याचिका में शोध का हवाला देते हुए यह बताया गया है कि 2002 के बाद से कोरोना वायरस के छह अलग-अलग रूपों के बाद कोविड-19 सातवें प्रारूप का वाहक जानवर है है. जहां से यह वायरस मनुष्यों में आया. बता दें कि कोरोनावायरस के फैलने में जानवरों की की क्या भूमिका है, इस पर कोई रिसर्च नहीं हुआ है.

डब्लूएचओ की सराहना

विश्व जैन संगठन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के उस कदम की सराहना करता है जिसमें सभी देशों से कहा गया है कि वे जानवरों से मनुष्यों में ट्रांसमिसन के जोखिम को कम करने का प्रयास करें. फरवरी, 2020 में डब्ल्यूएचओ ने कोरोनावायरस के बढ़ने में जानवरों की प्रजातियों की भूमिका की पहचान करने के लिए एक आपातकालीन बैठक आयोजित की थी.

ICMR करे जानवरों की पहचान

याचिकाकर्ता ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को निर्देश देने की मांग कि वह डब्लूएचओ के आह्वान के अनुसार कोरोनावायरस के बढ़ने और फैलने में पशु प्रजातियों की भूमिका की पहचान करे. याचिका में आगे केंद्र को एक स्वतंत्र, गैर-सरकारी उच्च स्तरीय अनुसंधान समिति का गठन करने के निर्देश देने की मांग की गई है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें