प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद पस्ताव के दौरान एक पुरानी कहानी का जिक्र किया. इस कहानी के जरिये उन्होंने समझाया कि कैसे पुराने कानूनों को बदलने की जरूरत है. देश में समय के साथ ऐसे बदलाव कितने जरूरी है. प्रधानमंत्री मोदी ने एक एक्ट से जुड़ा हुआ किस्सा सुनाया और कहा, कोई अगर नहीं मांग रहा तो हमारा दायित्व है कि हम आगे बढ़ें. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने चर्चिल का जिक्र किया. चर्लिल की सिगार मशहूर रही है.
प्रधानमंत्री ने बताया कि 60 के दशक में तमिलनाडु में राज्य के कर्मचारियों की तनख्वाह बढ़ाने के लिए कमेटी बनी. कमेटी के चेयरमैन के पास एक लिफाफ पहुंचा. इसमें टॉप सीक्रेट लिखा हुआ था. इस लिफाफे को जब उन्होंने खोला तो उसमें वेतन बढ़ाने के लिए अर्जी थी. इसमें लिखा था, मैं बहुत सालों से सिस्टम में ईमानदारी से काम कर रहा हूं लेकिन वेतन नहीं बढ़ रहा. चेयरमैन ने पूछा कि आप किस पद पर कार्यरत हैं और कहां काम कर रहे हैं बतायें तो उसने मुख्य सचिव के कार्यालय में CCA के पद पर हूं.
कमेटी के चेयरमैन को सीसीए पद का अर्थ पता नहीं था. चेयरमैन ने फिर चिट्ठी लिखी और पूछा कि इस पद का मतलब बतायें तो जवाब मिला मैं बंधा हुआ हूं 1975 के बाद ही मैं इसके बारे में जिक्र कर सकता हूं. इस पर चेयरमैन ने लिख दिया कि इसके बाद ही शिकायत करना तो उसने मजबूरी में जानकारी दी कि इसका अर्थ होता चर्चिल सिगार असिस्टेंट.
चर्चिल ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बने थे तो त्रिची से उनके लिए सिगार जाती थी. CCA का काम था कि उनको सिगार अच्छे से पहुंची कि नहीं, इसकी चिंता करना. चुनाव हार गए पर पद बना रहा और सप्लाई जारी रही. देश आजाद हो गया फिर भी पद जारी रहा. प्रधानमंत्री ने कहा, अगर हम बदलाव नहीं करेंगे तो कई पद ऐसे ही रह जायेंगे.
चर्चिल और सिगार
ब्रिटेन के युद्ध काल के नेता के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान शायद ही कभी सिगार के बगैर देखा गया था, वे इतना अधिक सिगार पीते थे कि उनके सम्मान में एक बडे आकार के सिगार का नाम उनके नाम पर रख दिया गया.
वह एक दिन में 8 से 10 सिगार पी जाते थे. ऐसी चर्चा है कि उन्हें सिगार कटर उपहार के तौर पर दिया गया था. यह भी कहा जाता है अक्सर सिगार पीते वक्त वह अपने कपड़ों को भी नुकसान पहुंचा लेते थे. सिगार से होने वाले छेद उनके कपड़ों में नजर आते थे.