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LAC के पास चीन ने बनाई सौर और जलविद्युत परियोजना, भारत ने बढ़ाई ताकत

सुरक्षा बलों ने बताया कि जून 2020 के बाद से चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब तक करीब 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है और आगे भी वह सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहा है. इसके लिए उसने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा विकास संबंधी परियोजनाओं का काम भी पूरा किया है.

नई दिल्ली : भारत का पड़ोसी देश चीन अपनी हरकतों और पैंतरेबाजी से बाज नहीं आ रहा है. भारत के साथ जारी सीमा विवाद के बावजूद चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक अपनी सैन्य गतिविधियां बढ़ाने के लिए सौर एवं जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कराया है. 15 जून 2020 को चीनी सैनिकों की भारतीय सेना के जवानों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद भारत-चीन के बीच सैन्य गतिविधियां रुकी हुई हैं. दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अब तक सैन्य अधिकारी स्तर पर कई दौर की बातचीत भी हुई है. बावजूद इसके भारत की उत्तर और उत्तर-पूर्वी सीमाओं पर घात लगाकर बैठा चीन अपनी विस्तारवादी घातक चाल चलने में गुरेज नहीं कर रहा है.

चीन ने एलएसी पर यथास्थिति में किया एकतरफा बदलाव

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर से यथास्थिति में एकतरफा बदलाव करने की वजह से भारत के साथ पिछले तीन साल से अधिक समय से दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध जारी है. मीडिया की रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपनी सैन्य गतिविधियों को बढ़ाने के लिए चीन ने सौर और जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया है.

सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिक कर रहा तैनात

सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही खबर के अनुसार, चीन की ओर से वर्ष 2020-21 के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती के बाद उसे कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था. इनमें सबसे बड़ी चुनौती ऊर्जा को लेकर पेश हो रही थी. इसे समाप्त करने के लिए उसने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए उसने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास सौर एवं जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कराया है.

चीनी सैन्य ठिकानों पर बढ़ी बिजली की खपत

बताया जा रहा है कि सैन्य ठिकानों पर बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए चीन ने विद्युत परियोजनाओं का निर्माण कराया है. वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हजारों की संख्या में तैनात चीनी सैनिकों को बिजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. बिजली न होने की वजह से चीनी सैनिकों को सर्दियों के मौसम में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है. बताया यह भी जा रहा है कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे जिन ठिकानों पर अपने सैनिकों को तैनात किया है, उसके अग्रिम क्षेत्रों में सैनिकों की बिजली खपत काफी बढ़ गई है.

एलएसी के पास चीन ने बसाया गांव

समाचार एजेंसी एएनआई ने भारतीय सुरक्षा बलों के हवाले से खबर दी है कि 15 जून 2020 को भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने सैनिकों की संख्या का भारी इजाफा किया है. सुरक्षा बलों ने बताया कि जून 2020 के बाद से चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अब तक करीब 50,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया है और आगे भी वह सैनिकों की संख्या बढ़ाने पर विचार कर रहा है. इसके लिए उसने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा विकास संबंधी परियोजनाओं का काम भी पूरा किया है. उन्होंने बताया कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास अपने सैनिकों के लिए घर बनाकर देने के साथ ही पूरा गांव बसा लिया है.

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भारत ने भी बढ़ाई अपनी ताकत

सूत्रों ने बताया कि भारत की ओर से भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि चीन का मुकाबला करने के लिए भारत ने भी अपनी ताकत बढ़ा ली है. पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा के पास चीन की ओर से जितने सैनिकों को तैनात किया गया है, भारत ने भी उससे कहीं अधिक अपने जवानों को तैनात कर रखा है. उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने एक बार फिर उत्तरी सीमा पर ध्यान केंद्रित कर दिया है. बताया जा रहा है कि भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे दो मोर्चों पर सैनिकों की तैनाती के साथ ही अपनी मजबूती बढ़ा दी है. इसके लिए इन दोनों मोर्चों पर बुनियादी अवसंरचना का विकास कराया जा रहा है.

KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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