Chandrayaan-3 Updates : चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) की लॉन्चिंग के बाद लोगों के मन में कई सवाल आ रहे हैं. इनमें से एक सवाल यह है कि आखिर अभी चंद्रयान-3 किस हाल में है. इस सवाल का जवाब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से सोशल मीडिया पर दिया गया है. जी हां...इसरो ने उसकी लोकेशन सोशल मीडिया पर साझा की है. चंद्रयान-3 अब 41 हजार 762 से ज्यादा की कक्षा में पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगाने का काम कर रहा है.
इसरो वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का एनालिसिस करने में जुटे हुए हैं. इसरो की ओर से जानकारी दी गयी कि कि चंद्रयान-3 की पहली ऑर्बिट मैन्यूवरिंग सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. इसका मतलब है कि उसकी पहली कक्षा बदल दी गयी है. इसरो ने अपने ट्विटर वॉल पर जानकारी दी कि चंद्रयान-3 की हेल्थ सामान्य है.
इसरो के चंद्रयान मिशन का घटनाक्रम
-भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रमा तक पहुंचने के मिशन का घटनाक्रम जानें
-15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने चंद्रयान कार्यक्रम की घोषणा की थी.
-22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी जिसपर पूरी दुनिया की नजर थी.
-आठ नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 ने प्रक्षेपवक्र पर स्थापित होने के लिए चंद्र स्थानांतरण परिपथ (लुनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री) में प्रवेश किया.
-14 नवंबर 2008 को चंद्रयान-1 चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के समीप दुर्घटनाग्रस्त हो गया लेकिन उसने चांद की सतह पर पानी के अणुओं की मौजूदगी की पुष्टि की थी.
-28 अगस्त 2009 को इसरो के अनुसार चंद्रयान-1 कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा हुई.
-22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण किया गया.
-20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया.
-दो सितंबर 2019 को चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते वक्त लैंडर ‘विक्रम’ अलग हो गया था लेकिन चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया.
-14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में दूसरे लॉन्चपैड से उड़ान भरा जिसके बारे में सभी जानना चाहते हैं.
-23/24 अगस्त 2023 को इसरो के वैज्ञानिकों ने 23-24 अगस्त को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की योजना तैयार की है जिससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाले देशों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएगा.
तीसरे संस्करण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण
आपको बता दें कि इसरो ने 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से अपने चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के तीसरे संस्करण का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया था. चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा, जिसका अब तक अन्वेषण नहीं किया गया है. केवल तीन देश, अमेरिका, चीन और रूस ही अब तक चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफल रहे हैं.
‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा की ओर अपनी यात्रा के 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा
प्रक्षेपण के बाद विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस उन्नीकृष्णन नायर ने बताया कि ऐतिहासिक ‘चंद्रयान-3’ मिशन 40 दिन के महत्वपूर्ण चरण से गुजरेगा और अंतत: चंद्रमा की सतह पर ‘लैंडिंग’ के लिए इसमें लगे ‘थ्रस्टर्स’ की मदद से इसे पृथ्वी से दूर ले जाया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण यान ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और अंतरिक्ष यान के लिए आवश्यक प्रारंभिक स्थितियां बहुत सटीकता से प्रदान की गयी.
झारखंड के लिए गर्व के पल
चंद्रयान-3 झारखंड के लिए गर्व के पल लेकर आया. दरअसल जिस एसएलपी सेकेंड लांचिंग पैड से चंद्रयान-3 की लांचिंग की गयी, उसका कार्यादेश टर्न-की प्रोजेक्ट के तहत मेकन को मिला था. मेकन के अभियंताओं ने इसका डिजाइन बनाया था. इसके आधार पर सेकेंड लांचिंग पैड का निर्माण एचइसी में हुआ. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि एसएलपी के लिए जरूरी उपकरणों का निर्माण एचइसी के वर्कशॉप में किया गया. सेकेंड लांचिंग पैड 84 मीटर ऊंचा था.
एक नजर में ये भी जानें
-चंद्रयान-3 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का करेगा प्रयास
-चंद्रयान-3 के लैंडिंग के लिए दो जगहों का किया गया है चुनाव
-लैंडर 150 मीटर की ऊंचाई से नीचे उतरेगा और पहली लैंडिंग साइट ढूंढेगा
-यदि कोई चेतावनी नहीं मिली, तो 150 मीटर की ऊंचाई से सीधे लैंड करेगा. अन्यथा लैंडर कुछ दूरी तय करके 60 मीटर की ऊंचाई पर आ जायेगा और दूसरी लैंडिंग साइट की तलाश करेगा.