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Coal Crisis at Power Plants : अंधेरे में डूब जायेंगे एक दर्जन राज्य! देश में भारी बिजली संकट की आहट

अधिकतर राज्यों का तापमान 40 डिग्री या उसके आसपास पहुंच गया है. फलस्वरूप अभी से बिजली की मांग बढ़ने लगी है. कहा जा रहा है कि बिजली की मांग ने 38 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. दूसरी तरफ, बिजली बनाने वाले कई पावर हाउस में कोयले की कमी हो गयी है.

Coal Crisis at Power Plants: भीषण गर्मी के बीच चिंता बढ़ाने वाली खबर है. देश के एक दर्जन राज्य अंधेरे में डूब जायेंगे, क्योंकि इनके पावर प्लांट का कोयला स्टॉक बहुत कम रह गया है. अगर स्टॉक मेंटेन नहीं किया गया, तो झुलसाने वाली गर्मी में लोगों को और परेशान होना पड़ेगा. अप्रैल में ही इस साल कई राज्यों में लू चल रही है. तपती गर्मी ने बिजली की खपत बढ़ा दी है.

अधिकतर राज्यों का तापमान 40 डिग्री के करीब

अधिकतर राज्यों का तापमान 40 डिग्री या उसके आसपास पहुंच गया है. फलस्वरूप अभी से बिजली की मांग बढ़ने लगी है. कहा जा रहा है कि बिजली की मांग ने 38 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. दूसरी तरफ, बिजली बनाने वाले कई पावर हाउस में कोयले की कमी हो गयी है. ऑल इंडिया पावर इंजीनियर फेडरेशन (AIPEE) की मानें, तो देश के एक दर्जन थर्मल पावर प्लांट में कोयले का स्टॉक बहुत कम रह गया है.

झारखंड समेत आधा दर्जन राज्यों में कोयले की भारी कमी

जिन राज्यों में कोयले की भारी कमी बतायी जा रहा है, उनमें झारखंड, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश शामिल हैं. कहा जा रहा है कि इन राज्यों में कोयले की कमी की वजह से विद्युत आपूर्ति में कटौती की जा रही है. AIPEE ने कहा है कि अक्टूबर 2021 से ही कोयले के स्टॉक में कमी आ गयी थी. इसलिए विद्युत आपूर्ति में कटौती की जा रही है.

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8-8 घंटे तक हो रही है बिजली कटौती

AIPEE के मुताबिक, कुछ राज्यों में कुछ जगहों पर 8-8 घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है. फेडरेशन ने कहा है कि बिजली के उत्पादन में कोयले की महत्वपूर्ण भूमिका है. आज 70 फीसदी बिजली बनाने के लिए जीवाष्म ईंधन का ही इस्तेमाल होता है. बताया जा रहा है कि अगर कोयले की आपूर्ति नहीं बढ़ायी गयी, तो उद्योगों को हो रही बिजली की सप्लाई में भी कटौती शुरू कर दी जायेगी.

सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की रिपोर्ट में क्या

बहरहाल, सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ने जो हालिया कोल रिपोर्ट जारी की है, उसमें कहा गया है कि 150 थर्मल पावर स्टेशन में से 81 में कोयले का स्टॉक तय गाइडलाइन से बहुत नीचे है. ये वे स्टेशन हैं, जो बिजली बनाने के लिए घरेलू कोयले का इस्तेमाल करते हैं. प्राइवेट थर्मल प्लांट की स्थिति भी चिंताजनक है. 54 प्राइवेट थर्मल पावर स्टेशंस में से 28 में कोयले की भारी कमी है.

यूपी, राजस्थान का हाल सबसे बुरा

उत्तर भारत के राज्यों की बात करें, तो उत्तर प्रदेश और राजस्थान का हाल सबसे बुरा है. राजस्थान के सभी सात थर्मल प्लांट में कोयले की कमी है. इन प्लांट्स से 7,580 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. उत्तर प्रदेश के चार थर्मल पावर प्लांट में से तीन में कोयले की कमी है, ऐसा बताया जा रहा है. इन स्टेशनों से 6,129 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है.

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