27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बाल ठाकरे होते तो थपथपाते पीएम मोदी की पीठ, आखिर सीएम शिंदे ने क्यों कही ये बात

एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था. इसके बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी. इसके बाद से उद्धव गुट के साथ उनकी तल्खी देखी जा रही है. अब बाल ठाकरे का जिक्र करते हुए शिंदे ने बड़ी बात कही है.

अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले बयानों का दौर जारी है. इस क्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से ऐसी बात कही गई है जिससे उद्धव ठाकरे गुट नाराज हो सकता है. दरअसल, सीएम शिंदे ने कहा है कि यदि शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे आज जिंदा होते तो वह राम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 हटाने के लिए पीएम मोदी की तारीफ तो करते ही, साथ ही पीठ भी थपथपाते…आपको बता दें कि शिवसेना आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के लिए ‘शिव संकल्प’ अभियान का आयोजन करके लोगों को अपने पक्ष में करे में जुटी है. इसी दौरान सोमवार को रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के राजापुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम शिंदे की ओर से उक्त बातें कही गई.

बालासाहेब ठाकरे के विचारों के असली वंशज कौन?

बालासाहेब ठाकरे के विचारों के असली वंशज कौन? इस सवाल का जवाब सीएम शिंदे ने दिया और कहा कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना और राम मंदिर निर्माण बाला साहेब ठाकरे के सपानों में से एक था जो मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा हो चुका है. यदि आज बालासाहेब ठाकरे जिंदा होते तो वह पीएम मोदी की पीठ थपथपाते नजर आते…आपको बता दें कि बाला साहेब ठाकरे का साल 2012 में निधन हो गया था. शिवसेना से बगावत कर अलग पार्टी बनाने पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि उन्होंने स्वार्थ साधने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि बालासाहेब के विचारों को जिंदा रखने के लिए ऐसे कदम उठाने की जरूरत पड़ी. उन्होंने कहा कि हम बालासाहेब के विचारों के असल वंशज हैं. जब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शिवसेना के खाते में पड़े 50 करोड़ रुपये की डिमांड की तो हमारी ओर से पैसे दे दिए गये क्योंकि हम यहां पैसों के लिए नहीं हैं.

Also Read: Ayodhya: राम मंदिर में लगेगा 44 फीट ऊंचा ध्वजदंड, 21 कुंतल का घंटा भी पहुंचा अयोध्या, जानें और क्या-क्या मिला!

कब टूटी थी शिवसेना?

यदि आपको याद हो तो एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया था. इसके बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हुई थी. इसके बाद शिवसेना दो धड़ों में बंट गई थी. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह और नाम पर दावा किया, जिसे चुनाव आयोग ने सही माना और पार्टी का चुनाव चिन्ह और नाम शिंदे गुट की शिवसेना को देने का काम किया. वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नाम से जाना जाता है जिसका चुनाव चिन्ह जलती हुई मशाल है.

Also Read: पार्टी नेताओं को हरी झंडी, क्या खरगे खुद होंगे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल! जानिए जवाब

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें