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जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव में अनुच्छेद 370 और 35ए मुख्यमुद्दा, भाजपा बनाम गुपकर गठबंधन होंगे आमने-सामने

नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार यहां जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव हो रहा है. चुनाव प्रक्रिया 28 नवंबर से शुरू होगी और 22 दिसंबर को मतगणना के साथ समाप्त होगी. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद निरस्त किये जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह सबसे बड़ी राजनीतिक गतिविधि है. इस चुनाव के जरिये जनता सीधे स्थानीय निकाय के लिए प्रतिनिधि चुनेगी.

नयी दिल्ली : जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार यहां जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव हो रहा है. चुनाव प्रक्रिया 28 नवंबर से शुरू होगी और 22 दिसंबर को मतगणना के साथ समाप्त होगी. अगस्त, 2019 में अनुच्छेद निरस्त किये जाने और केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद यह सबसे बड़ी राजनीतिक गतिविधि है. इस चुनाव के जरिये जनता सीधे स्थानीय निकाय के लिए प्रतिनिधि चुनेगी.

मुख्य मुद्दा बना अनुच्छेद 370 और 35ए

डीडीसी चुनाव में मुख्य मुद्दा अनुच्छेद 370 ही है. एक ओर अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का विरोध करनेवाली पार्टियां हैं, वहीं दूसरी ओर अनुच्छेद 370 के पक्ष में भाजपा जैसी पार्टी है. इसलिए चुनाव में मुख्य लड़ाई भाजपा और अन्य के बीच है. अनुच्छेद 370 को हटाये जाने का विरोध करनेवाली पार्टियां एकजुट होकर गुपकर घोषणापत्र भी जारी किया था.

अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे क्षेत्रीय दल

प्रदेश में कानून व्यवस्था के मद्देनजर नजरबंद किये गये क्षेत्रीय दलों के नेता भी डीडीसी चुनाव के जरिये अपने अस्तित्व की लड़ाई मान रहे हैं. उन्होंने गैर भाजपा दलों को चुनाव प्रचार में बाधा उत्पन्न करने का भी आरोप लगाते हुए उपराज्यपाल से शिकायत भी की है.

कश्मीरी विस्थापितों को लेकर भाजपा ने की प्रदेश चुनाव आयोग की आलोचना

भाजपा की जम्मू कश्मीर इकाई ने डीडीसी चुनाव में कश्मीरी विस्थापितों के लिए ‘त्रुटिपूर्ण और भेदभावकारी’ डाक मतपत्र अधिसूचना जारी करने को लेकर प्रदेश चुनाव आयोग की आलोचना की है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि यह कश्मीर घाटी में डीडीसी चुनाव से कश्मीरी विस्थापितों को बाहर रखने के लिए नौकरशाही के स्तर पर ‘जान-बूझ कर किया गया प्रयास’ है.

कश्मीर में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के तहत हो रहा चुनाव

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल अनुच्छेद 370 को निरस्त किये जाने से पहले यहां त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली नहीं थी. केंद्र सरकार ने 17 अक्तूबर को जम्मू और कश्मीर पंचायती राज अधिनियम, 1989 में संशोधन को स्वीकृति देने के बाद नया निकाय डीडीसी को जोड़ दिया.

क्या होगी चुनाव प्रक्रिया

डीडीसी के लिए कुल आठ चरणों में 28 नवंबर से 19 दिसंबर तक वोट डाले जायेंगे. डीडीसी चुनाव के लिए मतदान सुबह सात बजे से दोपहर दो बजे तक होगा. इस चुनाव में ईवीएम का प्रयोग नहीं किया जायेगा. बैलेट पेपर के जरिये मतदान कराया जायेगा. मतदान की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मतगणना 22 दिसंबर को होगी. चुनाव के जरिये जम्मू क्षेत्र के 10 और कश्मीर घाटी के 10 यानी कुल 20 जिलों के लिए डीडीसी का गठन किया जायेगा. हर जिले में 14 निर्वाचन क्षेत्र होंगे.

पंचायतों की रिक्त सीटों के लिए होगा मतदान

डीडीसी चुनाव के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेश की 12 हजार से ज्यादा रिक्त पड़ी पंचायत सीटों के लिए भी मतदान होंगे. वहीं, नगर निकायों की रिक्त 234 वार्डों के लिए भी चुनाव 28 नवंबर को कराये जायेंगे. मतदान की प्रक्रिया खत्म होने के बाद उसी दिन परिणाम भी घोषित कर दिये जायेंगे.

कैसे काम करेगी जिला विकास परिषद निकाय

जम्मू-कश्मीर के सभी 20 जिलों में 20 जिला विकास परिषद के लिए चुनाव होगा. हर जिले में एक जिला विकास परिषद होंगे. हर जिले में जिला योजना समिति बनायी जायेगी. जिला विकास परिषद के सदस्य चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन चुनेंगे. जिला परिषद की जिम्मेदारी जिला योजनाओं और पूंजीगत व्यय को तैयार करना और अनुमोदित करना होगा.

चुनाव को लेकर किये गये सुरक्षा के कड़े प्रबंध

डीडीसी चुनाव को लेकर सुरक्षा के कड़े प्रबंधन किये गये हैं. जम्मू-कश्मीर के सुरक्षा बलों के अलावा केंद्रीय पैरामिलिट्री के 25 हजार जवानों को बुलाया गया है. इसके अलावा 165 अतिरिक्त पुलिस फोर्स कंपनियों को बुलाया गया है.

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