Act of War Meaning in Hindi: भारत और पाकिस्तान ने शनिवार शाम 5 बजे से जमीन, समुद्र और आसमान में हर तरह की सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई है. दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों (DGMO) के बीच 12 मई को बातचीत तय हुई है. यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है.
मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद भारत की कड़ी चेतावनी
पिछले दिनों पाकिस्तान की ओर से मिसाइल और ड्रोन हमलों की कोशिशें हुईं जिन्हें भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया. इसके बाद भारत ने इन घटनाओं को उकसावे वाला बताया. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अगर अब कोई आतंकी हमला भारत में हुआ, तो उसे “युद्ध की कार्रवाई” माना जाएगा.
Act of War Meaning: क्या होता है ‘एक्ट ऑफ वॉर’?
युद्ध की कार्रवाई (एक्ट ऑफ वॉर) का मतलब सिर्फ टैंक या बमबारी नहीं होता. अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, किसी देश पर जबरन हमला करना या हमला करने की धमकी देना भी युद्ध माना जा सकता है. लेकिन अगर कोई देश खुद की रक्षा में हमला करता है, तो वह जायज होता है, बशर्ते हमला जरूरी हो और उचित सीमा में हो. छोटे हमलों या झड़पों पर बड़ा जवाब देना गैरकानूनी माना जाता है.
आतंकवाद पर पाकिस्तान की भूमिका
भारत का मानना है कि पाकिस्तान की जमीन से आतंकवाद को समर्थन मिलता है. अगर अगली बार हमला होता है और भारत यह साबित कर देता है कि उसमें पाकिस्तान की मिलीभगत है, तो भारत को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मरक्षा में जवाब देने का अधिकार मिलेगा. भारत पहले भी 2001 में संसद हमले और 2008 में मुंबई हमलों के बाद यह बात उठा चुका है.
Act of War Meaning: युद्ध और संघर्ष में फर्क
कई बार ‘युद्ध’ और ‘संघर्ष’ शब्द एक-दूसरे की जगह इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन दोनों अलग हैं. युद्ध, जब दो देशों के बीच औपचारिक तरीके से बड़ी सैन्य कार्रवाई होती है और संघर्ष, सीमित झड़पें या घुसपैठ, जिन्हें युद्ध का दर्जा नहीं मिलता. भारत ने 1971 के बाद कभी युद्ध की घोषणा नहीं की, हालांकि कई बार युद्ध जैसी स्थिति बनी.
India has decided that any future act of terror will be considered an Act of War against India and will be responded accordingly: Top GoI sources pic.twitter.com/zZSAXzu3o6
— ANI (@ANI) May 10, 2025
युद्ध घोषित होने पर क्या होता है बदलाव
अगर भारत औपचारिक रूप से युद्ध घोषित करता है तो जेनेवा कन्वेंशन जैसे अंतरराष्ट्रीय नियम लागू हो जाते हैं. इसमें तय होता है:
- युद्धबंदियों (PoW) से कैसा व्यवहार होगा
- आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे होगी
- किन ठिकानों पर हमला किया जा सकता है
- तटस्थ देशों की भूमिका क्या होगी
भारत में युद्ध की घोषणा कैसे होती है
भारतीय संविधान में युद्ध की घोषणा के लिए कोई स्पष्ट अनुच्छेद नहीं है, लेकिन अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जा सकता है, यदि देश पर युद्ध या बाहरी हमला होता है. इस स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल घोषित किया जाता है, लेकिन यह निर्णय केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर लिया जाता है. आपातकाल की घोषणा के बाद एक महीने के भीतर संसद से इसकी मंजूरी लेना आवश्यक होता है.
यूनियन वॉर बुक: हर विभाग की जिम्मेदारी तय
भारत के पास ‘यूनियन वॉर बुक’ नामक एक गोपनीय दस्तावेज है, जिसमें युद्ध की स्थिति में हर मंत्रालय और विभाग की जिम्मेदारियां स्पष्ट रूप से तय की गई हैं. इसमें सेना की तैनाती, आपातकाल लागू करना और रेलवे, संचार, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में विशेष योजनाएं शामिल हैं. 2001 में संसद पर हुए आतंकी हमले के बाद इस वॉर बुक को सक्रिय किया गया था, हालांकि युद्ध की औपचारिक घोषणा नहीं हुई थी.
देश युद्ध की घोषणा से क्यों बचते हैं
आज के दौर में कोई भी देश खुले तौर पर युद्ध की घोषणा करने से बचता है, क्योंकि इससे अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की बाध्यता बढ़ जाती है. युद्ध की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं का दबाव भी तीव्र हो जाता है, जिससे कूटनीतिक चुनौतियां उत्पन्न होती हैं. इसके अलावा, मानवीय जिम्मेदारियों में भी वृद्धि होती है, जैसे नागरिकों की सुरक्षा, युद्धबंदी नियमों का पालन और वैश्विक जनमत का सामना करना. इन्हीं कारणों से अब कई देश पारंपरिक युद्ध की जगह सीमित सैन्य कार्रवाई, जैसे सर्जिकल स्ट्राइक या टारगेटेड ऑपरेशन जैसे विकल्पों को प्राथमिकता देने लगे हैं.
आगे क्या?
भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम लागू हो गया है, लेकिन भारत ने साफ कहा है कि अब बर्दाश्त की सीमा खत्म हो गई है.अगर फिर से आतंकी हमला होता है और उसमें पाकिस्तान की भूमिका मिलती है, तो भारत उसे सीधे युद्ध की कार्यवाही मानेगा.
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