नयी दिल्ली : वर्ष 1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद सेना द्वारा अरुणाचल प्रदेश में जमीन अधिग्रहीत किये जाने के 55 साल बाद अप्रत्याशित आश्चर्य के तौर पर हजारों निवासियों को मुआवजा मिल सकता है. केंद्र तथा राज्य सरकारें मुआवजे के लिए काम कर रही हैं. मुआवजे की राशि 3,000 करोड़ तक हो सकती है.
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू और केंद्र तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर मंगलवार को यहां एक बैठक में विचार विमर्श किया. बैठक करीब एक घंटे चली.
अरुणाचल के निवासी रिजिजू ने कहा कि 1962 के चीन युद्ध के बाद सीमावर्ती राज्य में रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए अधिग्रहीत जमीन के मुद्दे के निबटारे के लिए बैठक बुलायी गयी थी. उन्होंने कहा कि हालांकि अरुणाचल प्रदेश के लोगों को अति राष्ट्रभक्त भारतीय कहा जा सकता है, लेकिन सेना द्वारा बड़े पैमाने पर जमीन के अधिग्रहण के बाद मुआवजा के भुगतान नहीं होने के कारण उनमें असंतोष पैदा होने लगा था.
कहा जाता है कि भामरे ने अपने मंत्रालय तथा सेना में अधिकारियों से कहा है कि एक दूसरे तथा राज्य सरकार के साथ बेहतर समन्वय के जरिये वे सभी लंबित मुद्दों को त्वरित गति से निबटाएं. रिजिजू ने तय सीमा के अंदर सभी मुद्दों के निबटारे और लंबित मुद्दों के हल पर बल दिया. उन्होंने अधिकारियों से सवाल किया कि बैठक के दौरान चर्चा के लिए सामने आये सभी मुद्दों के हल में वे कितना समय लेंगे.
खांडू ने कहा कि लीज दर, स्वामित्व अधिकारों का अनुदान, दोहरे मुआवजे का भुगतान और जमीन की दरों का निर्धारण का जल्दी ही हल हो जायेगा.