नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का बड़ा फायदा हुआ है. वर्ष 1992 में बाबरी मसजिद को गिराने का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा राजनीतिक फायदा हुआ.
ये बातें कहीं हैं चीन के एक प्रमुख बुद्धिजीवी माओ केजी ने. चीन-भारत संबंधों के विशेषज्ञ माओ केजी का यह लेख गुआनचाओ डॉट सीएन (www.guanchao.cn) पर प्रकाशित हुआ है. केजी के अनुसार, नरेंद्र मोदी द्वारा ‘गुजरात मॉडल’ की पृष्ठभूमि में विकास के नारे ने भाजपा और संघ के बीच गंठजोड़ को मजबूत किया, जिसका उन्हें राजनीतिक लाभ मिला.
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माओ केजी का यह भी मानना है कि पीएम मोदी आरक्षण की नीति की जगह आर्थिक उन्नति के लिए तेज विकास पर जोर दे रहे हैं, क्योंकि आरएसएस आरक्षण के खिलाफ है. केजी के अनुसार, पीएम मोदी को वर्ष 2013 से ही आरएसएस का पूरा समर्थन हासिल है.
केजी ने लिखा है, ‘छोटे केक के बंटवारे के बजाय केक का आकार बढ़ाने पर जोर देकर मोदी विभिन्न सामाजिक समूहों के जटिल हितों की टकराहट से बच कर चल रहे हैं.’
चीनी लेखक भाजपा के उभार के बीज 1989 में लागू हुए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण और 1992 में बाबरी मसजिद को गिराये जाने की घटनाओं में देखते हैं. केजी ने लिखा है, ‘मंडल रिपोर्ट की वजह से शिक्षा और रोजगार के मामले में बेहतरी की उम्मीद कर रहे मध्य वर्ग और उच्च वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. इस निराशा से भाजपा के जनाधार में ठोस वृद्धि हुई.’
चीनी लेखक ने आगे लिखा है कि इन दोनों घटनाओं की वजह से दोनों संगठनों के कैडरों की संख्या तेजी से बढ़ी, जो ‘आज भी भाजपा और आरएसएस के संगठन की रीढ़ की हड्डी’ हैं. माओ केजी लिखते हैं कि संघ के पास 10,000 प्रचारक और 50,000 सक्रिय शाखाएं हैं. संघ के करीब छह लाख स्वयंसेवक और मजदूर, किसान, महिला और छात्र संगठन हैं. ये समहू भाजपा को संगठनात्मक एका, सामाजिक संसाधन और विचारधारा के प्रसार का मौका प्रदान करता है.’