नयी दिल्ली : पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध की वजह से घातक वायु की मोटी परत में लिपटी दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत, दमा और एलर्जी के मामलों में तेजी से बढोतरी हुई है. चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि नए मामले सामने आने के साथ ही पहले से ही दमा, एलर्जी या अन्य संबंधित विकारों से ग्रस्त लोगों के लिए स्वास्थ्य जटिलताएं बढ गई हैं.
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दिल्ली में धुंध : दमा, एलर्जी, सांस लेने में दिक्कत के मामलों में बढोतरी
नयी दिल्ली : पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध की वजह से घातक वायु की मोटी परत में लिपटी दिल्ली में सांस लेने में दिक्कत, दमा और एलर्जी के मामलों में तेजी से बढोतरी हुई है. चिकित्सकों और विशेषज्ञों का कहना है कि नए मामले सामने आने के साथ ही पहले से ही दमा, […]
सर गंगाराम अस्पताल में औषधि विभाग के अध्यक्ष एवं सीनियर कंसल्टैंट डॉ. एसपी ब्योत्रा का कहना है, ‘‘पहले हमारे अस्पताल में प्रदूषण से संबंधित बीमारी के 15 से 20 प्रतिशत मामले आते थे. लेकिन अब यह संख्या बढकर 60 प्रतिशत तक हो गई है.’
उनका कहना है, ‘‘सर्वाधिक आम समस्या श्वसन संबंधी होती है. लेकिन इस बार हम धुंध की वजह से सांस लेने में गंभीर परेशानी, खांसी और छींक तथा ब्रोंकाइटिस के मामले बडी संख्या में देख रहे हैं.’ ब्योत्रा ने कहा, ‘‘बच्चे और बुजुर्ग धुंध तथा प्रदूषण के चलते संक्रमण और एलर्जी के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं.
इसलिए उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए और सुबह तथा शाम के समय बाहर निकलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जब खतरनाक स्तर सबसे ज्यादा होता है.’ दिल्ली पिछले 17 साल में सबसे खतरनाक धुंध का सामना कर रही है जिससे उच्च न्यायालय को यह तक कहना पडा कि यह ‘‘किसी गैस चैंबर में रहने’ जैसा है. केंद्र ने इसे ‘‘आपातकालीन स्थिति’ करार दिया है और कल सभी पडोसी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई है जिससे कि किसान पराली जलाना बंद करें.
विशेषज्ञों के अनुसार ऐसा अनुमान है कि विश्व की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी एलर्जिक अस्थमा, एलर्जिक राइनिटिस और एलर्जिक कंजक्टीवाइटिस, एटापिक एग्जिमा और ऐनफिलैक्सिज जैसे एलर्जी रोगों से पीडित है. वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल में बाल रोग विभाग के निदेशक एवं प्रमुख डॉ. राहुल नागपाल का कहना है, ‘‘जो लोग इस तरह की बीमारियों से पहले से ही पीडित हैं, उनको ज्यादा दिक्कत आ रही है.
बच्चे अधिक प्रभावित हो रहे हैं क्योंकि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसके अतिरिक्त, संक्रमण को सही होने में अधिक समय लग रहा है.’ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के बाल रोग विशेषज्ञ वीके पॉल का कहना है, ‘‘जहां तक संभव हो सके, बच्चों को सुबह और देर शाम के समय बाहर निकलने से बचना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में धुंध की वजह से मामलों की संख्या में बढोतरी हुई है.’ दक्षिणी दिल्ली स्थित अपोलो अस्पताल में भी अस्थमा और एलर्जी के मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है.
डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से शहर को अपनी चपेट में ले रही धुंध की मोटी परत के चलते खांसी, छींक और आंखों तथा त्वचा की एलर्जी के मामलों में बढोतरी हो रही है. इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में कंसल्टैंट :इंटरनल मेडिसिन: डॉ. सुरनजीत चटर्जी का कहना है, ‘‘मामलों मेंे निश्चित तौर पर बढोतरी हुई है और कई बीमारियों में संख्या दोगुनी हो गई है.
प्रदूषण की वजह से दमा, एलर्जी तथा अन्य समस्याओं में बढोतरी हुई है और सबसे ज्यादा पीडित बुजुर्ग हो रहे हैं.’ दिल्ली में प्रदूषण की इस स्थिति के चलते कल मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को भी दिल्ली को ‘‘गैस चैंबर’ कहना पडा. केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वे स्थिति के मद्देनजर निजी वाहनों का कम इस्तेमाल करें और सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करें.
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