मुम्बई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग राह चुनी. भाजपा को जब ज्यादा सीटें मिली, तो शिवसेना और भाजपा का टूटता रिश्ता एक बार फिर कच्चे धागे में बंध गया. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भी शिवसेना की कई मांगे भाजपा ने पूरी नहीं की. अब भाजपा […]
मुम्बई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भाजपा और शिवसेना ने अलग-अलग राह चुनी. भाजपा को जब ज्यादा सीटें मिली, तो शिवसेना और भाजपा का टूटता रिश्ता एक बार फिर कच्चे धागे में बंध गया. महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर भी शिवसेना की कई मांगे भाजपा ने पूरी नहीं की. अब भाजपा को शिवसेना ने अपने 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया है, जिसके अलग-अलग अर्थ निकाले जा रहे हैं. हालांकि दोनों पार्टियों ने पूरी स्थिति पर सफाई दी है.
महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनी और इसमें अहम साझेदार के रूप में शिवसेना ने अपना समर्थन दिया. दोनों पार्टियों के बीच दरार कई बार साफ नजर आने लगती है. कई मुद्दों पर शिवसेना ने महाराष्ट्र सरकार के इतर अपना पक्ष रखा जो सरकार विरोधी था. एकनाथ खडसे जब विवादों में फंसे तो शिवसेना सरकार के विरोध में खड़ी हुई. सरकार ने जब एकनाथ खडसे पर जब कार्रवाई कर दी तो भी शिवेसना इसके विरोध में थी. भाजपा और शिवसेना सरकार गठन के लिए भले ही साथ हो लेकिन मुद्दे और राजनीति में इनकी राहें अलग हो जाती है.
अब शिवेसना साल 2017 में आसन्न बृहत मुम्बई नगरपालिका चुनाव से पहले एक बार फिर अपनीमहत्वकांक्षाजाहिर कर रही है. शिवसेना ने अपने इस सहयोगी को रविवार को आयोजित अपने 50वें वर्षगांठ समारोह में आमंत्रित नहीं किया है. शिवसेना की प्रवक्ता मनीषा कयांदे ने बताया, ‘‘ हमने भाजपा को आमंत्रित नहीं किया है क्योंकि यह हमारी पार्टी का आतंरिक समारोह है जिसका मकसद हमारे कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करना है. हाल ही में इलाहाबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक हुई थी जिसमें किसी सहयोगी को आमंत्रित नहीं किया गया.
इसी तरह से प्रत्येक पार्टी का अपना समारोह होता है, बैठकें होतीहैंजो उसके सदस्यों के लिए होती हैं. ‘ यह पूछे जाने पर कि क्या इस पहल को भाजपा के लिए यह संकेत माना जाए कि शिवसेना आगामी बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने का निर्णय कर सकती है, उन्होंने कहा, ‘‘ बीएमसी चुनाव के लिए हमारा मिशन 100 प्रतिशत शिवसेना है. हर पार्टी चुनाव जीतना चाहती है. शिवसेना हमेशा राज्य में केंद्र में रही है और उसे आगे बढने के लिए किसी के सहयोग की जरूरत नहीं पड़ी जबकि ऐसी स्थिति भाजपा के साथ नहीं रही. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता माधव भंडारी ने कहा, ‘‘ यह उनका आंतरिक कार्यक्रम है और इसलिए किसे आमंत्रित करना है, यह उनकी पसंद है. ‘