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इस बार ‘त्रिशूल” के कारण विवादों में राधे मां, जानें क्या है कारण

मुंबई : खुद को देवी बताने वाली विवादास्पद और ग्लैमरस धर्मगुरु राधे मां एक बार फिर विवादों में फंस गईं हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई पुलिस ने पिछले वर्ष औरंगाबाद से मुंबई आने वाले एक विमान में ‘त्रिशूल’ लेकर यात्रा करने के मामले में राधे मां के खिलाफ मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की. […]

मुंबई : खुद को देवी बताने वाली विवादास्पद और ग्लैमरस धर्मगुरु राधे मां एक बार फिर विवादों में फंस गईं हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार मुंबई पुलिस ने पिछले वर्ष औरंगाबाद से मुंबई आने वाले एक विमान में ‘त्रिशूल’ लेकर यात्रा करने के मामले में राधे मां के खिलाफ मंगलवार को एक प्राथमिकी दर्ज की. यह मामला पिछले साल अगस्त का है. आपको बता दें कि इससे पहले भी राधे मां का मामला पिछले साल गरमा गया था. पिछले साल राधे मां पर अब अश्लीलता फैलाने का मामला दर्ज हुआ था. बीते साल मिनी ड्रेस में राधे मां की तस्वीरें ट्विटर पर ट्रेंड कर रही थीं.

क्या है मामला

इस संबंध में एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस महीने की शुरुआत में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने पुलिस को शस्त्र अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था जिसके बाद यहां हवाई अड्डे पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया. आरटीआई कार्यकर्ता असद पटेल ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2015 में एक विमान में सुखविंदर कौर उर्फ राधे मां त्रिशूल लेकर गयी थीं. असद पटेल ने एक प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

कौन है राधे मां
पिछले दिनों जब राधे मां चर्चे में आई तो मीडिया ने एक के बाद एक उनके बारे में कई खुलासे किए. एक मीडिया रिपोर्ट ने उनकी पोल खोलते हुए सच्चाई सामने लाई. जिसके बाद यह बात सामने आई कि राधे मां का असली नाम सुखविंदर कौर है जिनका जन्म चार अप्रैल 1965 में पंजाब के जिले गुरुदासपुर के दोरंगला गांव में हुआ था. सुखविंदर कौर के बारे में वहां के लोगों ने बताया कि वह अपने गांव के काली देवी मंदिर में काफी दिन तक रही और वहां के लोगों को बचपन से कुछ चमत्कारिक चीजें दिखाया करती थी. हालांकि उसके गांव वालों ने उसके बारे में बचपन में किसी भी चमात्कारिक शक्ति होने से या दिखाने से साफ इनकार किया.

खराब थे आर्थिक हालात
मीडिया की पड़ताल से यह बात सामने आई कि सुखविंदर कौर 10वीं कक्षा पास है जिनकी शादी मोहन सिंह नाम के शख्स के साथ हुई थी, शादी के समय सुखविंदर मात्र 17 साल की थीं. जब सुखविंदर की शादी हुई उस वक्त उसके ससुराल की आर्थिक हालत अच्छी नहीं थी. अपनी पति की आर्थिक सहायता के लिए वह कपड़ा सिलने का काम करती थी लेकिन इसी दौरान उसके पति कमाने के लिए कतर की राजधानी दोहा रवाना हो गए और सुखविंदर अध्यात्म की ओर मुड़ गई और महन्त रामदीन की शिष्या बन गई. महन्त रामदीन ने ही सुखविंदर को राधे मां नाम से नवाजा.

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