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आधार को मिला वैधानिक आधार, लोकसभा में धन विधेयक के रूप में पास

नयी दिल्ली: लोकसभा में आज आधार विधेयक पारित हो गया. अब इसे राज्यसभा में पारित होना होगा. दोनों सदनों में विधेयक के पारित होने के बाद यह कानूनी स्वरूप ले लेगा, जिससे हर व्यक्ति को एक यूनिक आइडेंटी नंबर दिया जाना अनिवार्य हो जायेगा और सेवाओं व सब्सिडी के आवंटन में पारदर्शिता आयेगी. इससे बिचौलियों […]

नयी दिल्ली: लोकसभा में आज आधार विधेयक पारित हो गया. अब इसे राज्यसभा में पारित होना होगा. दोनों सदनों में विधेयक के पारित होने के बाद यह कानूनी स्वरूप ले लेगा, जिससे हर व्यक्ति को एक यूनिक आइडेंटी नंबर दिया जाना अनिवार्य हो जायेगा और सेवाओं व सब्सिडी के आवंटन में पारदर्शिता आयेगी. इससे बिचौलियों व भ्रष्टों पर लगाम लगाने में भी बहुत हद तक कामयाबी मिलेगी.

इससे पहले आज सरकार ने आधार विधेयक को संसद की एक स्थायी समिति को अध्ययन के लिए भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया थाऔर लोकसभा ने आज इस पर चर्चा शुरू कीकी.इस संबंध में वित्त मंत्रीअरुण जेटली ने कहा कि विधेयक में प्रमुखरूप से सब्सिडी समेत सरकारी धन का लाभ सीधे लाभार्थियों तक पहुंचने पर ध्यान दिया गया है.

कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि ‘आधार : वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान : विधेयक, 2016′ को सरकार ने इसलिए धन विधेयक बना दिया ताकि वह राज्यसभा में मत विभाजन से बच सके, जहां सरकार को बहुमत हासिल नहीं है. जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विधेयक को विचारार्थ लेने का प्रस्ताव रखा तो बीजद के भतृर्हरि महताब ने इसके मौजूदा स्वरूप में ‘निजता के उल्लंघन’ की आशंका पर चिंता जताई और इसे स्थाई समिति में भेजे जाने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार को जल्दबाजी में इसे पारित नहीं कराना चाहिए.

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खडगे और अन्नाद्रमुक के पी वेणुगोपाल ने बीजद नेता की मांग का समर्थन किया. खडगे ने कहा कि वे विधेयक के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इसमें खामियां हैं. जेटली ने कहा कि आधार की संस्था पर सात साल से अधिक समय से बहस हो रही है. संप्रग सरकार ने सितंबर, 2010 में इस बाबत विधेयक को मंजूर किया था और दिसंबर 2010 में इसे संसद में पेश किया था.

उन्होंने कहा कि इतने सालों में इस पर काफी विचार-विमर्श हुआ है और स्थायी समिति में भी चर्चा हुई है. सरकार ने इन सबका संज्ञान लिया है.

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित कानून लाभार्थियों को लक्षित सरकारी सब्सिडी पहुंचाने में कारगर होगा जिससे काफी बचत होगी.

जेटली ने उदाहरण देते हुए कहा कि आधार कार्ड के माध्यम से एलपीजी उपभोक्ताओं के खातों में सीधे सब्सिडी हस्तांतरण की तकनीक से सरकार को 15000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हुई है.

वित्त मंत्री ने इसे धन विधेयक के तौर पर लिये जाने की विपक्ष की आलोचना को खारिज करते हुए कहा, ‘‘प्रमुखरूप से भारत सरकार के समेकित धन के उपयोग पर ध्यान केंद्रित है, चाहे वह केंद्र का हो या राज्यों का.’ जेटली ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत इसे धन विधेयक बनाया गया है.

उन्होंने कहा कि विधेयक संप्रग सरकार द्वारा पेश किये गये विधेयक से पूरी तरह अलग है और ‘‘अगर हमने पहले इसे लागू किया होता तो बेहतर होता.’ जेटली ने निजता के उल्लंघन की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि विधेयक में इसके लिए प्रावधान किये गये हैं.

उन्होंने कहा कि नागरिकों की मंजूरी के बिना उनके आधार आंकड़ों को साझा नहीं किया जाएगा और बायोमेट्रिक जानकारी भी उनकी सहमति के बिना नहीं दी जाएगी.

वित्त मंत्री ने अनधिकृत तरीके से जानकारी देने और गड़बड़ी आदि के मामलों में विधेयक में प्रस्तावित दंड की भी बात की.

आधार विधेयक पर चर्चामें भाग लेते हुए कांग्रेस के राजीव सातव ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार राज्यसभा की अनदेखी करके आधार विधेयक को धन विधेयक के तौर पर राज्यसभा में लाई है. उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कई नेताओं ने आधार की आलोचना की थी और पहले आधार को ‘नौटंकी’ बताने वाली भाजपा को अब यह नौटंकी अच्छी लग रही है.

सातव ने कहा कि विधेयक में राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर आधार जानकारी लेने के प्रावधान की बात कही गयी है लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किन मानदंडों के आधार पर जानकारी मांगी जाएगी.

उन्होंने पिछली संप्रग सरकार को आधार का श्रेय देते हुए कहा कि इस सरकार के आने से पहले आधार में 60 प्रतिशत काम हो चुका था.

भाजपा के गणेश सिंह ने विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि विधेयक को स्थाई समिति में भेजने की कांग्रेस की मांग केवल मौजूदा सरकार के अच्छे कामों में रुकावट डालने का एक प्रयास है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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