नयी दिल्ली: जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत को दुनिया को दिखाना चाहिए कि वह सदियों से किस तरह पर्यावरण संरक्षण में आगे रहा है. उन्होंने संस्कृति मंत्रालय से इस संबध में एक प्रस्तुतिकरण तैयार करने को भी कहा. मंत्रालय की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए मोदी ने उससे इस बारे में सामग्री तैयार करने को कहा कि भारत ने सदियों से पर्यावरण संरक्षण में किस तरह योगदान दिया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय की एक विज्ञप्ति में मोदी के हवाले से बताया गया कि अगर यह सामग्री समय पर तैयार हो जाती है तो इसे पेरिस में इस साल के आखिर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन- सीओपी 21 में पेश किया जा सकता है. मोदी ने बैठक में कहा, भारत को दुनिया को दिखाना चाहिए कि वह पर्यावरण संरक्षण में किस तरह आगे रहा है. बैठक में संस्कृति राज्यमंत्री महेश शर्मा ने भी भाग लिया. विज्ञप्ति के अनुसार प्रधानमंत्री ने संस्कृति मंत्रलय से विशेष थीमों पर आधारित सामग्री एकत्रित करने और उसे प्रदर्शित करने के संबंध में बड़े स्तर पर ध्यान केंद्रित करने को कहा.
बयान में कहा गया है कि मोदी ने उदाहरण के लिए भारत में सदियों से पानी के भंडारण और संरक्षण के लिए विभिन्न तरीकों के संबंध में केंद्रित प्रयासों का सुझाव दिया. मोदी ने कुछ दिन पहले ही सबसे कम प्रति व्यक्ति कार्बन गैस उत्सर्जन करने वाले देशों में भारत के शामिल होने के बावजूद जलवायु परिवर्तन पर भारत पर सवाल खड़े करने के लिए विकसित देशों को आड़े हाथ लिया था. उन्होंने कहा था कि भारत सीओपी सम्मेलन का एजेंडा तय करेगा.
प्रधानमंत्री ने संस्कृति मंत्रालय से संग्रहालयों के विकास में और खासतौर पर उच्च गुणवत्ता वाले आभासी संग्रहालयों को विकसित करने की दिशा में काम करने को भी कहा. उन्होंने खासतौर पर गुजरात के लोथल में एक विश्वस्तरीय समुद्री संग्रहालय की स्थापना का सुझाव दिया. उन्होंने मंत्रालय से कहा कि इस काम के लिए कौशल विकास मंत्रलय के साथ कुशल मानवशक्ति की जरुरतों और कार्यों की व्यापक रुपरेखा तैयार की जाए.
मोदी ने कहा कि मंत्रालय द्वारा वाराणसी जैसे ऐतिहासिक शहरों और विरासत स्थलों पर स्थापित किये जा रहे व्याख्या केंद्रों को हब के तौर पर काम करना चाहिए जो बच्चों और युवाओं में दिलचस्पी पैदा करें तथा प्रतिभाओं की अगली पीढी को संगीत तथा संस्कृति के अनेक क्षेत्रों में प्रेरित करें.
उन्होंने सुझाव दिया कि वरिष्ठ नागरिकों को पर्यटकों को सांस्कृतिक धरोहरों को दिखाने की प्रक्रिया में तथा राष्ट्रीय स्तर पर टेलीविजन पर प्रसारित प्रतियोगिताओं में भूमिका निभानी चाहिए जिससे देशभर में शीर्ष स्तर के पर्यटन स्थलों के लिहाज से उच्च गुणवत्ता वाले टूरिस्ट गाइडों की अगली पीढी को तैयार किया जा सके.