नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसकी दिलचस्पी विदेशी बैंकों में गैरकानूनी तरीके से खाता रखनेवालों के नामों के खुलासे की बजाय विदेश से काला धन देश में वापस लाने में है. प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब दलील दी गयी कि सरकार को उन व्यक्तियों के नामों का खुलासा करना चाहिए जिन्होंने विदेशों में गैरकानूनी तरीके से खाता रखना स्वीकार किया है.
हालांकि, न्यायालय ने जनहित याचिका दायर करने वालों में शामिल वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया कि विशेष जांच दल को काला धन वापस लाने के लिए दिये गये तमाम सुझावों पर विचार करना चाहिए. जेठमलानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल दीवान ने आरोप लगाया कि पिछले छह महीने में ‘एक रुपया भी वापस नहीं आया है’ और कुछ तलाशी लेने और कुर्की की ही कार्रवाई की गयी है. केंद्र सरकार के दृष्टिकोण पर दीवान को जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का वक्त दिया है. केंद्र सरकार ने इस मसले पर फ्रांस की सरकार के साथ हुए पत्र व्यवहार से संबंधित दस्तावेज साझा करने के प्रति अनिच्छा दिखायी है.
अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्र द्वारा काले धन के मसले पर गौर किये जाने के बावजूद याचिकाकर्ता इस मामले में बार-बार आवेदन दायर कर रहे हैं.
वकील प्रशांत भूषण ने सभी नामों के प्रकाशन की मांग की, क्योंकि ऐसा करने से विदेशों में काला धन जमा करने और आतंकवाद व मानव तस्करी में पैसा लगाने वालों के मन में भय पैदा होगा. यह मसला उन 627 भारतीयों की सूची से संबंधित है जिनका खाते जिनीवा स्थिति एचएसबीसी बैंक में थे और जिनकी संदिग्ध काला धन के बारे में आयकर विभाग की जांच 31 मार्च तक पूरी होनी है. ये दस्तावेज पिछले साल 29 अक्तूबर को शीर्ष अदालत को सौंपे गये थे.