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जम्मू कश्मीर : उमर छोड़ेंगे कार्यवाहक सीएम का पद, पीडीपी पर भाजपा के साथ नहीं जाने का दबाव

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी छोड़ने का निर्णय लिया है. उमर ने राज्यपाल एनएन वोहरा से कहा कि सीमा पर स्थिति और बाढ़ पीड़ितों की समस्या को देखते हुए राज्य को पूर्णकालिक प्रशासक की जरूरत है. सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल एनएन वोहर इस संबंध […]

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेवारी छोड़ने का निर्णय लिया है. उमर ने राज्यपाल एनएन वोहरा से कहा कि सीमा पर स्थिति और बाढ़ पीड़ितों की समस्या को देखते हुए राज्य को पूर्णकालिक प्रशासक की जरूरत है. सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल एनएन वोहर इस संबंध में रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजेंगे. उमर अब्दुल्ला के इस फैसले के बाद राज्यपाल पर राज्य में जल्द सरकार गठित कराने का दबाव बढ़ गया है.
संवैधानिक सीमाओं के कारण जम्मू कश्मीर में 19 जनवरी के पहले सरकार गठन होना आवश्यक है. अगर इस अवधि में राज्य में सरकार गठन नहीं हो सकता है राज्य में राज्यपाल शासन का विकल्प बचता है.
जम्मू कश्मीर की 87 सदस्यीय विधानसभा में पिछले महीने हुए चुनाव में पीडीपी को सर्वाधिक 28 सीटें मिली हैं, जबकि 25 सीटों के साथ भाजपा दूसरे नंबर पर है. वहीं, नेशनल कान्फ्रेंस को 15 सीटें मिली हैं, कांग्रेस को 12 सीटें व छोटे दलों एवं निर्दलियों को सात सीटें मिली हैं.
पिछले दिनों राज्य की प्रमुख पार्टियों के नेताओं से सरकार गठन के सवाल पर राज्यपाल एनएन बोहरा ने चर्चा की थी. इस चर्चा के बाद पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने यह संकेत दिया था कि उसका रुख नरम है और वहराज्यमें भाजपा के साथ सरकार बना सकती है. उस दौरान मुफ्ती ने भाजपा के शीर्ष नेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तारीफ की थी.
इन संकेतों के बावजूद राज्य में अबतक सरकार गठन की प्रक्रिया गति पाती नहीं दिख रही है. सूत्रों का कहना है कि पिपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी पर राज्य के अलगाववादी ताकतों का दबाव है कि वह भाजपा के साथ सरकार नहीं बनाये. हिजबुल मुजाहीदीन ने बुधवार को कहा था राज्य में पूर्व की तरह ऐसी सरकार नहीं गठित होनी चाहिए, जो कश्मीर के लोगों के आत्मसम्मान को नुकसान पहुंचाने वाला हो और राज्य को पूर्व की लूटने वाला हो.
जम्मू कश्मीर के अलगाववादी ताकतों की दलील है कि आठ लाख फौजों को राज्य में तैनात कर चुनाव कराया गया. हिजबुल मुजाहीदीन के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन ने अपने बयान में भाजपा को अधिक सांप्रदायिक, कश्मीर विरोधी और मुसलिम विरोधी करार दिया है. उन्‍होंने आरोप लगाया है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों की न तो खुद मदद की और न ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मदद ली. एक अन्य प्रमुख अलगाववादी नेता सैयद अली अली शाह गिलानी ने भाजपा को जम्मू कश्मीर के सर्वोत्तम हित में नहीं बताया था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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