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जम्मू कश्मीर में सरकार गठन पर सस्पेंस बरकरार, पीडीपी ने भाजपा के सामने रखीं कड़ी शर्तें

श्रीनगर:पीडीपी ने आज जम्मू कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए उसे लुभा रही भाजपा के सामने कडी शर्तें रखीं और कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ उसके रुख पर ‘‘कोई समझौता नहीं’’ हो सकता.पीडीपी ने संकेत दिये कि उसके लिए भाजपा के साथ काम करना मुश्किल हो सकता है. पीडीपी ने […]

श्रीनगर:पीडीपी ने आज जम्मू कश्मीर में नई सरकार के गठन के लिए उसे लुभा रही भाजपा के सामने कडी शर्तें रखीं और कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ उसके रुख पर ‘‘कोई समझौता नहीं’’ हो सकता.पीडीपी ने संकेत दिये कि उसके लिए भाजपा के साथ काम करना मुश्किल हो सकता है.

पीडीपी ने यह भी कहा कि वह विवादित सैन्य बल विशेषाधिकार अधिनियम को हटाने के लिए प्रतिबद्ध है जिसे भाजपा संभवत: स्वीकार नहीं करेगी.हालिया विधानसभा चुनावों में पीडीपी को सबसे अधिक 28 जबकि भाजपा को 25 सीटें मिली हैं.

राज्यपाल एनएन वोहरा द्वारा सरकार गठन के प्रस्ताव पर साथ आने के लिए पीडीपी और भाजपा के लिए एक जनवरी की समयसीमा तय करने के बीच, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख दलों में अनौपचारिक बातचीत तेज हो गई है.
पीडीपी ने आधिकारिक रुप से कहा, ‘‘सभी विकल्प खुले हैं और अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है’’ लेकिन खबर हैं कि उसे भाजपा के साथ गठजोड को लेकर अपने कई नवनिर्वाचित विधायकों से कडे विरोध का सामना करना पड रहा है.
पीडीपी के पास अगला विकल्प 12 विधायकों वाली कांग्रेस पार्टी और 15 विधायकों वाली नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन स्वीकार करना है. वह इन दोनों दलों के साथ संपर्क में है क्योंकि वह भाजपा से हाथ मिलाने को लेकर दुविधा मे है.
पीडीपी प्रवक्ता नईम अख्तर ने यहां कहा, ‘‘सभी विकल्प अब भी खुले हैं. राज्य में किसी दल के साथ मिलकर सरकार के गठन पर अभी तक कोई फैसला नहीं किया गया है.’’ उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन का संकेत देते हुए कहा कि विधानसभा की 87 में से 28 सीटें जीतने वाली पीडीपी सरकार के गठन के लिए अपने सभी विकल्पों पर चर्चा कर रही है.
अख्तर ने कहा, ‘‘कुछ खास मुद्दे हैं जो हमारे कोर एजेंडे में हैं और इन पर आश्वासन की आवश्यकता है कि ये हमारे संभावित गठबंधन सहयोगी, यह कोई भी पार्टी हो सकती है, द्वारा स्वीकार किए जाएंगे.’’ उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 की सुरक्षा पर पार्टी के रुख के साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता.
अख्तर ने यह भी कहा कि पार्टी राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफ्सपा) को हटाए जाने और कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरु किए जाने जैसे अपने मुद्दों पर कटिबद्ध है.पीडीपी और 25 सीटें (सभी जम्मू में) जीतकर दूसरी सबसे बडी पार्टी बनने वाली भाजपा को राज्यपाल एन एन वोहरा ने सरकार के गठन पर अलग-अलग चर्चा के लिए आमंत्रित किया है. यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी भविष्य के किसी गठबंधन सहयोगी के साथ बारी-बारी से मुख्यमंत्री की मांग पर विचार करेगी, पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि अभी तक किसी भी दल के साथ बातचीत उस चरण तक नहीं पहुंची है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने भी पीडीपी को सरकार गठन के लिए प्रस्ताव दिया है, जिस पर उनकी पार्टी विचार कर रही है. सरकार गठन के लिए पीडीपी को बिना शर्त समर्थन की नेशनल कान्फ्रेंस की पेशकश के बारे में अख्तर ने कहा कि उनकी पार्टी को अपनी धुर प्रतिद्वंद्वी की तरफ से अब तक ऐसा कोई संदेश नहीं मिला है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी कोई ऐसी पेशकश आएगी, हम इस पर निश्चित रुप से चर्चा करेंगे और भविष्य के कदम पर फैसला करेंगे.’’ नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कल कहा था कि उनकी पार्टी ने एक मध्यस्थ के जरिए केवल ‘‘मौखिक पेशकश’’ की थी.
पीडीपी नेतृत्व के समक्ष ‘न उगले बने, न निगले बने’ जैसी स्थिति है. पार्टी के भीतर कुछ प्रभावशाली नेता इस आधार पर भाजपा के साथ गठबंधन का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं कि इस तरह की भागीदारी से हालिया समय में पार्टी को मिला लाभ उलट सकता है.
उधर भाजपा ने आज कहा कि जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन पर अन्य दलों के साथ बातचीत जारी है. भाजपा महासचिव राम माधव ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें जम्मू कश्मीर में महत्वपूर्ण जनादेश मिला है. हम सरकार गठन की प्रक्रिया में शामिल होंगे. बातचीत चल रही है. देखते हैं कि क्या होता है.’’ हालांकि उन्होंने यह खुलासा नहीं किया कि बातचीत किसके साथ चल रही है.

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