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परमाणु आतंकवाद के खतरे से निबटने के लिए भारत ने की अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील

संयुक्त राष्ट्र : परमाणु आतंकवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए भारत ने परमाणु सुरक्षा बढाने और संवेदनशील परमाणु सामग्रियों को अनधिकृत तत्वों के हाथों में जाने से रोकने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सरकारों की ओर से जिम्मेदारी भरी कार्रवाई का आह्वान किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम […]

संयुक्त राष्ट्र : परमाणु आतंकवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए भारत ने परमाणु सुरक्षा बढाने और संवेदनशील परमाणु सामग्रियों को अनधिकृत तत्वों के हाथों में जाने से रोकने के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सरकारों की ओर से जिम्मेदारी भरी कार्रवाई का आह्वान किया है.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव अभिषेक सिंह ने कहा, ‘‘इस बात की व्यापक मान्यता है कि परमाणु आतंकवाद का खतरा आज अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. इसलिए संवेदनशील परमाणु सामग्री को राज्येतर या अनधिकृत तत्वों के हाथ में जाने से रोकने के लिए परमाणु सुरक्षा मजबूत करनी जरूरी है और इसके लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं जिम्मेदार राष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता है.’’ अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएइए) की वार्षिक रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए एक बयान में सिंह ने कल कहा कि भारत ने परमाणु सुरक्षा को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय प्रयासों में मदद करने और प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढावा देने में आइएइए की महत्वपूर्ण भूमिका का लगातार समर्थन किया है.
सिंह ने कहा कि परमाणु सुरक्षा कोष में भारत के ऐच्छिक योगदान के लिए आइएइए के साथ की व्यवस्था के तहत इसके परमाणु सुरक्षा विभाग को सूचना सुरक्षा में भारत की विशेषज्ञता निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है. उन्होंने कहा कि परमाणु सामग्री भौतिक सुरक्षा संधि (सीपीपीएनएम) को विश्वव्यापी समर्थन और वर्ष 2005 में इसके संशोधन को जल्दी लागू करने से परमाणु सुरक्षा के क्षेत्र में वैश्विक प्रयासांे को मजबूत करने में बहुत मदद मिलेगी.
संशोधित संधि विभिन्न देशों को परमाणु प्रतिष्ठानों एवं सामग्री के शांतिपूर्ण इस्तेमाल के लिए उनका संरक्षण, संग्रहण एवं परिवहन करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य करती है. सिंह ने कहा कि भारत सीपीपीएनएम में एक पक्षकार है और यह उन देशों में से एक है, जिन्होंने संधि के वर्ष 2005 के संशोधन को स्वीकार किया है.
सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत परमाणु सुरक्षा को उच्चतम प्राथमिकता के अनुरूप परमाणु ऊर्जा के लाभ विद्युत उत्पादन के लिए उठाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘‘भारत को अपने विकास लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में ऊर्जा की बढती जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा उत्पादन में तेज वृद्धि करने की जरूरत होगी. परमाणु ऊर्जा हमारे ऊर्जा स्नेतों का एक अहम हिस्सा है.’’

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