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कालेधन से जुडे नामों का खुलासा करने में 1995 की संधि बाधक : जेटली

नयी दिल्ली : कालाधन मामले में नामों का खुलासा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार पर चौतरफा हमला जारी है. नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि राजग सरकार पिछली संप्रग सरकार का ही रुख अपना रही है. इधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस आरोप को खारिज कर दिया है. उन्‍होंने […]

नयी दिल्ली : कालाधन मामले में नामों का खुलासा नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार पर चौतरफा हमला जारी है. नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया जा रहा है कि राजग सरकार पिछली संप्रग सरकार का ही रुख अपना रही है.

इधर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस आरोप को खारिज कर दिया है. उन्‍होंने कहा कि हम नामों का खुलासा करने को तैयार हैं, लेकिन विदेशों में जमा कालेधन के ब्यौरे का खुलासा करने में 1995 में तत्कालीन सरकार द्वारा जर्मनी के साथ किया गया समझौता बाधक है.

उन्होंने यह आरोप खारिज किया कि मोदी सरकार विदेशों में कालाधन जमा करने वालों की सूचना देना नहीं चाहती. जेटली ने कहा, यदि सवाल यह है कि क्या मोदी की अगुवाई वाली राजग सरकार किसी कारण से कुछ नामों को सार्वजनिक करने की इच्छुक नहीं है तो जवाब है कि कतई नहीं…. हमें नामों को सार्वजनिक करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्हें विधिवत कानूनी प्रक्रिया के तहत ही सार्वजनिक किया जा सकता है.

उन्होंने संवाददाताओं को बताया, और कानून की इस विधिवत प्रक्रिया में डीटीएए (दोहरे कराधान से बचाव की संधि) बाधा बन रही है जिस पर जर्मनी और तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की सरकार के बीच 19 जून, 1995 को हस्ताक्षर किया गया था.

जेटली ने इसकी और व्याख्या करते हुए कहा, डीटीएए के मुताबिक, संबंधित नामों को तभी सार्वजनिक किया जा सकता है जब उनकी जांच के बाद अदालत के सामने रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई हो और आरोप पत्र दाखिल कर दिए गए हों. उस समय तक जब जांच चल रही हो, महज प्रचार के लिए उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जा सकता.

जेटली ने कहा कि स्विटजरलैंड ने स्वतंत्र साक्ष्यों के आधार पर भारत को अपने यहां के बैंकों में अवैध धन जमा कराने वाले भारतीयों के बारे में सूचना देने पर सहमति जतायी है. उन्‍होंने कहा कि इसके अलावा स्विटजरलैंड की सरकार खुफिया एजेंसियों द्वारा भारतीय नागरिकों के विदेशी बैंक खातों के बारे में पेश किए जाने वाले ब्यौरे की ‘सत्यता’ की पुष्टि भी करने को तैयार है.

यहां संवाददाताओं से बातचीत में जेटली ने कहा कि स्विटजरलैंड ने एचएसबीसी तथा लिकटेंस्टाइन संबंधी सूचियों से संबंधित सूचनाएं भारत को देने को तैयार है बशर्ते भारतीय अधिकारी संबंधित मामले में अपनी ओर से संग्रहीत स्वतंत्र साक्ष्य प्रस्तुत कर सकें.

जेटली ने कहा, भारत सरकार विदेशी सरकारों से कर संबंधी सूचनाएं हासिल करने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है. विदेशों में रखा गया काला धन भारत वापस लाया जाएगा. स्विटजरलैंड और भारत के अधिकारियों की इसी सप्ताह एक उच्च स्तरीय बैठक हुयी.

इस बैठक के बाद स्विटजरलैंड सरकार ने भारत को बैंकिंग सूचनाओं के बारे में किए गए आवेदनों पर प्राथमिकता के आधार पर और समयबद्ध तरीके से मदद करने पर सहमति जतायी है. इससे पहले स्विटजरलैंड सरकार ने उक्त सूचियों में उल्‍लेखित नामों से संबंधित कोई सूचना देने से मना कर दिया था क्योंकि उसका कहना था कि यह सूचियां चुराए गए आंकडों पर आधारित हैं. जेटली ने कहा कि ये सूचियां दरअसल अन्य देशों से समुचित माध्यमों के जरिए प्राप्त की गयी हैं.

कांग्रेस ने सरकार को घेरा

कांग्रेस कालाधन मामले पर सरकार को घेरने का भरपूर पयास कर रही है. कांग्रेस की ओर से सलमान खुर्शीद ने कहा कि भाजपा ने कालाधन को मुद्दा बनाकर जनता को धोखा दिया है. भाजपा को लनता से मांफी मांगनी चाहिए. कालाधन मामले पर कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी ने भी भाजपा पर जमकर भड़ास निकाला. आप ने कहा कि चुनाव के समय जो मुख्‍य मुद्दा था अब सरकार उससे भटक गयी है.

इससे पहले कांग्रेस ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष विदेशों में कालाधन रखने वालों के नाम का खुलासा करने से मना करने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की थी. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पार्टी की ब्रिफिंग में कहा, काले धन के बारे में जो हो-हल्ला किया जाता रहा, क्या वह केवल चुनाव के दौरान भाषण सुनने वालों के लिये ही था.

केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने भारतीय द्वारा विदेशी बैंक खातों में रखे कालेधन को वापस लाने का वादा किया है, लेकिन उसने उच्चतम न्यायालय में संप्रग सरकार वाला रख ही अपनाते हुये कहा कि वह उन देशों प्राप्त सूचनाओं का ब्यौरा नहीं दे सकती जिनके साथ भारत की दोहरे कराधान से बचाव की संधि है.

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