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एनकाउंटर की होगी जांच, दर्ज करानी होगी प्राथमिकी

नयी दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने आज फर्जी एनकाउंटर पर आज एतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने अहम फैसले में एनकाउंटर को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. यह निर्देश सभी राज्यों को भी दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, पुलिस एनकाउंटर में मौत की मजिस्ट्रेट जांच होनी चाहिए. एनकाउंटर में […]

नयी दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने आज फर्जी एनकाउंटर पर आज एतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने अपने अहम फैसले में एनकाउंटर को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. यह निर्देश सभी राज्यों को भी दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, पुलिस एनकाउंटर में मौत की मजिस्ट्रेट जांच होनी चाहिए. एनकाउंटर में इस्तेमाल हथियार की पूरी तरह जांच की जानी चाहिए. इसकी फोरेंसिक जांच भी होनी चाहिए तथा इसकी जांच सीआईडी या दूसरा पुलिस स्टेशन करे तो बेहतर होगा.कोर्ट ने यह आदेश भी दिया कि एनकाउंटर की प्राथमिकी दर्ज करायी जानी चाहिए. साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि एनकाउंटर में शामिल पुलिस अधिकारी को किसी तरह का पुरस्कार नहीं दिया जायेगा और न उन्हें प्रमोशन मिलेगा. एनकाउंटर की सीबीआई या सीआईडी जांच करायी जानी चाहिए.

साथ ही कोर्ट ने यह ताकीद भी की है कि एनकाउंटर के हर मामले में मानवाधिकार आयोग दखल नहीं देगा. कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि संबंधित पक्ष को अगर लगता है कि मुठभेड़ फर्जी है, तो वह सेशन कोर्ट के पास अपनी शिकायत लेकर जा सकता है. अदालत द्वारा जारी गाइलाइंस के मुताबिक जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि मुठभेड़ सही था. पुलिस अफसरों ने फर्जी मुठभेड़ नहीं किया तबतक उन अफसरों को प्रमोशन और सम्मानित नहीं किया जा सकता जो इसमें शामिल थे. अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस को अपराधियों के विषय में मिली सूचना को रिकॉर्ड कराना होगा और मुठभेड़ के बाद हथियार और गोलियां जमा करनी होगी और उनका हिसाब भी देना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस एनकाउंटर पर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह गाइडलाइन जारी की है.

पहले एनकाउंटर की जांच फिर सम्मान

कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि किसी भी एकाउंटर की पूरी जांच की जायेगी. इसमें दूसरे पुलिस स्टेशन, सीआईडी जांच करायी जा सकती है. अगर एनकाउंटर फर्जी पाया जाता है तो पुलिस वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. इसकी पूरी तरह से जांच होने के बाद ही उन्हें सम्मानित किया जा सकेगा. याचिकाकर्ता सूरत सिंह ने फैसले पर खुशी जताते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी मुठभेड़ों पर व्यापक गाइडलाइंस जारी की है जिन्हें सेक्शन 144 के तहत एक कानून माना जाएगा.

यह एतिहासिक फैसला मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खण्डपीठ ने पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी की याचिका पर सुनायी. कोर्ट ने का यह फैसला इसलिए एतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि कई शहरों में पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ की घटनाएं सामने आयी है. कई ऐसे मामले प्रकाश में आये है जिसमें फर्जी मुठभेड़ करने वाले पुलिस वालों को सम्मान दिया गया. कोर्ट ने फर्जी मुठभेड़ पर सख्त प्रतिक्रिया दी है और इन मामलों पर कठोर कार्रवाई का आदेश दिया. याचिकाकर्ता ने उम्मीद जतायी है कि कोर्ट के इस फैसले से फर्जी मुठभेड़ में कमी आयेगी.

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