हैदराबाद : हलीम और बिरयानी जैसे जायकेदार पकवानों की उत्पत्ति भले ही दुनिया के दूसरे हिस्सों में हुई हो, लेकिन वक्त के साथ इन्हें स्थानीय तरीकों से बनाये जाने लगा है, जिससे हैदराबाद को यूनेस्को के ‘क्रिएटिव सिटी ऑफ गैस्ट्रोनॉमी’ टैग हासिल करने में मदद मिली है. गैस्ट्रोनॉमी समृद्ध और स्वादिष्ट भोजन तैयार करने और परोसने की कला है. ‘विश्व शहर दिवस 2019′ के मौके पर यूनेस्को ने घोषित किया है कि मुंबई और हैदराबाद को उसके ‘क्रिएटिव सिटीज’ (रचनात्मक नगरों) की सूची मे शामिल किया गया है.
हैदराबाद के मेयर बी राममोहन ने कहा कि खान-पान का क्षेत्र सीधे या परोक्ष तौर पर शहर की 12 फीसदी कामगार आबादी को रोज़गार देता है. यह विभिन्न मजहबों, क्षेत्रों, जातियों, वर्गों के लोगों के बीच मजबूत संपर्क स्थापित करता है. उन्होंने कहा कि बिरयानी और हलीम को बनाने की विधियां ऐतिहासिक तौर पर दुनियाभर (खासकर, पश्चिम एशिया और मध्य एशिया से) लायी गयी हैं, लेकिन समय के साथ इन पकवानों को स्थानीय तरीकों से बनाया जाने लगा.
इसका नतीजा रहा कि हलीम और बरियानी जैसे पकवानों की दुनियाभर में तारीफ की जाने लगी. मेयर ने कहा कि खाना पकाने की अनूठी कला अंतरराष्ट्रीय थाली में अतिरिक्त मूल्यों की पेशकश करती है. इसलिए हैदराबाद इस रचनात्मक नेटवर्क का हिस्सा बनने का हक रखता है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि हैदराबाद जल्द ही ‘गैस्ट्रोनॉमी’ की वैश्विक राजधानी बनेगा. इतिहासकारों के मुताबिक, हैदराबाद में अरब, अफ्रीकी, तुर्की, ईरानी और पारसी समुदाय की अच्छी खासी आबादी है. इसका खाने समेत स्थानीय संस्कृति पर असर पड़ा है.