नयी दिल्ली : व्हिसलब्लोअर क्रिस्टोफर वायली ने अपने संस्मरण में ‘कैंब्रिज एनालिटका’ के अंदर की कहानी बतायी है. इसमें खास तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव और ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के पीछे डेटा माइनिंग और मनोवैज्ञानिक स्तर पर लोगों को प्रभावित रूप से हेरफेर, फेसबुक के साथ मिलीभगत और लोकतंत्रों के समक्ष उत्पन्न खतरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
‘माइंड्फ*सीके: इनसाइड कैंब्रिज एनालिटिकाज प्लॉट टू ब्रेक वर्ल्ड’ (Mindf*ck: Cambridge Analytica and the Plot to Break America) का विमोचन भारत में हेशेट के माध्यम से हुआ. यह किताब डेटा को मनोवैज्ञानिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर कमरों में बैठ चुनावों में चालाकी से हेरफेर करने वालों की कहानी बयां करती है.
वायली ‘कैंब्रिज एनालिटका’ में डेटा वैज्ञानिक के रूप में काम करते थे. बाद में, उन्होंने व्हिसलब्लोअर बनने का फैसला किया. उनकी कहानी बिल्कुल नयी और शक्तिशाली क्षमताओं से अचानक उत्पन्न होने वाली समस्या के बारे में खुलासा करती है और साथ ही आगाह भी करती है.
वायली ने कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका ने जब लाखों लोगों के फेसबुक अकांउटों का पूरा ब्योरा जुटा लिया तो उन्हें लगा था, यह बहुत बड़ा क्षण है. मैं गौरवान्वित था कि हमने कुछ बहुत ही शक्तिशाली रचा है. मुझे पूरा विश्वास था कि यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में लोग दशकों तक बात करेंगे.
फेसबुक डेटा लीक मामले के व्हिसलब्लोअर वायली ने विगत में यह दावा भी किया था कि ‘कैंब्रिज एनालिटिका’ की एक शाखा ने भारत में भी एक राजनीतिक दल के लिए काम किया था.